जर्मनी का मेसर्सचिमिट Me 262: लड़ाकू विमानों की नई परिभाषा

अंतरराष्ट्रीय समाचार:
अंतरराष्ट्रीय समाचार: जिन देशों को आज लड़ाकू विमानों का बादशाह माना जाता है, वे उस समय अपने सफर की शुरुआत भी नहीं कर पाए थे। जब अमेरिका और रूस हवाई शक्ति का सपना देख रहे थे, तब जर्मनी ने एक ऐतिहासिक कदम उठाया। उसने ऐसा फाइटर जेट विकसित किया जिसने आने वाले सौ वर्षों की तकनीक को जन्म दिया।
जर्मनी का पहला फाइटर जेट
दुनिया का पहला फाइटर जेट जर्मनी द्वारा निर्मित किया गया था, जिसका नाम मेसर्सचिमिट Me 262 था। इस विमान का पहला उपयोग 1944 में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान किया गया। यह विमान पिस्टन इंजन के बजाय जेट इंजन से संचालित होता था, जिससे हवाई युद्ध में एक नई गति और शक्ति का युग शुरू हुआ।
युद्ध में तबाही का कारण
Me 262 ने अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों को चिंता में डाल दिया था। उनके फाइटर प्लेन इसकी गति के सामने टिक नहीं पाते थे। यह दुश्मन के विमानों पर हमला करता, गोलियां चलाता और पल में गायब हो जाता। इसकी तेज गति ने युद्ध की रणनीति को पूरी तरह बदल दिया।
शुरुआत में चुनौतियाँ
इस विमान में शुरुआत में कई तकनीकी समस्याएँ थीं। लेकिन जर्मन इंजीनियरों ने निरंतर प्रयास किया और इसे बेहतर बनाया। थोड़ी देरी के बाद, जब यह विमान तैयार हुआ, तो पूरी दुनिया हैरान रह गई। इसने भविष्य के फाइटर जेट्स की नींव रखी।
खतरनाक हथियारों से लैस
Me 262 में चार शक्तिशाली 30 एमएम गन लगी थीं और यह 24 रॉकेट ले जाने की क्षमता रखता था। यह दुश्मन के बमवर्षक विमानों को गिराने के लिए पर्याप्त था। इसकी फायरपावर से बचना दुश्मनों के लिए बेहद कठिन था।
असाधारण गति
इस जेट की गति 870 किलोमीटर प्रति घंटा थी, जो उस समय के अन्य विमानों की तुलना में बहुत तेज थी। अमेरिका का प्रसिद्ध P-51 मस्टैंग भी इसकी गति के सामने धीमा था। इसकी ऊँचाई पर उड़ने की क्षमता और तेजी से ऊपर उठने की ताकत अद्वितीय थी।
दुश्मन पर पहले हमला
जर्मन पायलट इसे लेकर आसमान में गश्त करते थे। जैसे ही दुश्मन का विमान नजर आता, वे तुरंत हमला करते और सुरक्षित निकल जाते। इसकी गति और ताकत के कारण अमेरिका और ब्रिटेन के पायलटों के लिए इसका सामना करना आसान नहीं था।
आधुनिक जेट की नींव
आज के सुपरसोनिक, रडार-फ्रेंडली और स्मार्ट फाइटर जेट्स की शुरुआत इसी Me 262 से मानी जाती है। यह एक ऐसी खोज थी जिसने फाइटर टेक्नोलॉजी को पूरी तरह से बदल दिया। जर्मनी ने साबित कर दिया कि हवाई युद्ध में जीत केवल ताकत से नहीं, बल्कि तकनीक से भी हासिल की जा सकती है।