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दिल्ली-NCR में वायु प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट की सख्त चेतावनी: किसानों के खिलाफ कार्रवाई की मांग

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-NCR में वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति पर चिंता जताते हुए किसानों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। कोर्ट ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों को निर्देश दिया है कि वे अपने रिक्त पदों को भरें और वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए योजनाएं तैयार करें। मुख्य न्यायाधीश ने दंडात्मक प्रावधानों पर विचार करने की आवश्यकता पर जोर दिया है। इस कदम का उद्देश्य प्रदूषण में कमी लाना और पर्यावरण की रक्षा करना है। क्या यह कार्रवाई किसानों के लिए स्थायी समाधान ला सकेगी? जानें पूरी कहानी में।
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दिल्ली-NCR में वायु प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट की सख्त चेतावनी: किसानों के खिलाफ कार्रवाई की मांग

सुप्रीम कोर्ट की चिंता: वायु प्रदूषण और पराली जलाना

Supreme Court on Pollution :  सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-NCR में वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति और पराली जलाने की घटनाओं पर गहरी चिंता व्यक्त की है। कोर्ट ने उन किसानों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की आवश्यकता बताई है, जो बार-बार पराली जलाने के नियमों का उल्लंघन करते हैं। न्यायालय ने कहा कि यदि कुछ किसानों को दंडित किया जाता है, तो यह अन्य किसानों के लिए एक स्पष्ट संदेश होगा, जिससे भविष्य में पराली जलाने की घटनाओं में कमी आएगी।


प्रदूषण नियंत्रण के लिए संस्थाओं को निर्देश
कोर्ट ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) और वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) को भी आदेश दिया है कि वे अपने खाली पदों को शीघ्र भरें। विशेष रूप से दिल्ली और उसके आसपास के राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और पंजाब में प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों में कई रिक्तियां हैं, जिन्हें भरने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने तीन महीने का समय निर्धारित किया है।


वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए योजनाएं बनाएं
इसके अलावा, कोर्ट ने इन संस्थाओं से वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए त्वरित योजनाएं तैयार करने की अपील की है। न्यायमित्र अपराजिता सिंह ने अदालत को बताया कि किसानों को पराली जलाने की समस्या से निपटने के लिए विभिन्न उपकरण और सब्सिडी प्रदान की गई हैं, फिर भी समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है।


क्या दंडात्मक प्रावधान आवश्यक हैं?
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस बीआर गवई ने यह सवाल उठाया कि इस समस्या के समाधान के लिए दंडात्मक प्रावधानों पर विचार क्यों नहीं किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यदि कुछ किसानों को दंडित किया जाता है, तो यह अन्य किसानों के लिए एक कड़ा संदेश हो सकता है। CJI ने यह भी कहा कि यदि पर्यावरण की रक्षा का असली इरादा है, तो किसी भी प्रकार की ढील नहीं दी जा सकती।


पराली जलाने का वैकल्पिक उपयोग
CJI ने यह भी पूछा कि क्या पराली जलाने का कोई वैकल्पिक उपयोग हो सकता है। उन्होंने उदाहरण के तौर पर यह सवाल उठाया कि क्या पराली को ऊर्जा (ईंधन) बनाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, जैसा कि कुछ मीडिया रिपोर्टों में उल्लेख किया गया है। इस सवाल से यह इशारा मिलता है कि अदालत विकल्पों पर विचार करने के लिए भी तैयार है, लेकिन यह समाधान किसानों के लिए भी सस्ता और कारगर होना चाहिए।


वायु प्रदूषण की स्थिति और समाधान
हर साल अक्टूबर और नवंबर में दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण का स्तर खतरनाक हो जाता है। इसकी मुख्य वजह पड़ोसी राज्यों पंजाब और हरियाणा में किसानों द्वारा पराली जलाना है। किसान अपने खेतों से पराली हटाने के लिए अक्सर उसे आग के हवाले कर देते हैं, जिससे जहरीली धुंआ हवा में फैल जाती है। हालांकि, इस समस्या के समाधान के लिए खेतों की सफाई के लिए मशीनों का विकल्प भी मौजूद है, लेकिन किसान इसे महंगा मानते हैं, जिससे पराली जलाने की समस्या हर साल बनी रहती है.


सुप्रीम कोर्ट का यह कदम प्रदूषण नियंत्रण के लिए एक कड़ा संदेश देने का प्रयास है। यदि यह कार्रवाई प्रभावी होती है, तो उम्मीद है कि प्रदूषण में कमी आएगी और किसानों के लिए स्थायी समाधान निकाला जा सकेगा। साथ ही, पर्यावरण संरक्षण और किसानों की भलाई दोनों की चिंता को संतुलित करने के लिए सरकारों और संबंधित एजेंसियों को और अधिक सक्रिय भूमिका निभानी होगी.