दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति: वायु गुणवत्ता स्तर खतरनाक
दिल्ली में बढ़ता प्रदूषण
नई दिल्ली: दिल्ली की वायु में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है, जिससे निवासियों को सांस लेने में कठिनाई हो रही है। सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें शहर के प्रदूषण की गंभीरता को दर्शाया गया है।
कपिल धामा नामक एक उद्यमी ने एक वीडियो साझा किया है, जिसमें उनके घर के वायु गुणवत्ता मॉनिटर पर 97 AQI दिख रहा है, जबकि सभी दरवाजे बंद थे और चार एयर प्यूरीफायर लगातार काम कर रहे थे। लेकिन जैसे ही उन्होंने मुख्य दरवाजा खोला, रीडिंग 500 से ऊपर चली गई।
दरवाजा खोलते ही AQI में वृद्धि
उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा, 'घर में चार प्यूरीफायर 24x7 चल रहे हैं। सभी दरवाजे बंद होने पर रीडिंग - 100 थी। जैसे ही मैंने मुख्य दरवाजा खोला, रीडिंग - 500 हो गई। एनसीआर में जीवन नरक बन गया है, और सरकार बिहार के अभियान में व्यस्त है।'
4 purifier running 24x7 at home
— Kapil Dhama (@kapildhama) November 1, 2025
Reading while all doors are closed - 100
Just opened main door and touched - 500
Life become hell in NCR and govt is busy in bihar campaign. pic.twitter.com/7b5Zg3QXea
दिल्ली की वायु गुणवत्ता की स्थिति
1 नवंबर को साझा की गई उनकी पोस्ट ने 1.3 मिलियन व्यूज को पार कर लिया है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, रविवार सुबह दिल्ली का समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक 386 ('बहुत खराब') रहा, जो एक दिन पहले 303 था। 8 किमी प्रति घंटे से कम की गति से बहने वाली कमजोर उत्तर-पश्चिमी हवाओं ने प्रदूषकों को फैलने से रोक दिया है।
दिल्ली में वायु गुणवत्ता की गंभीरता
कम से कम 17 निगरानी स्टेशनों ने 'गंभीर' वायु गुणवत्ता की सूचना दी, वजीरपुर में उच्चतम स्तर 439 दर्ज किया गया, जबकि 20 अन्य 'बहुत खराब' श्रेणी में आ गए। 301-400 को 'बहुत खराब' और 401-500 को 'गंभीर' माना जाता है, और यह स्थिति दिल्लीवासियों के लिए चिंता का विषय है।
सर्दियों में प्रदूषण की समस्या
सर्दी के आगमन के साथ प्रदूषण में वृद्धि
हर साल सर्दियों के दौरान दिल्ली की हवा जहरीली हो जाती है, जो गुनगुनी धूप और ठंड के प्रभाव को नकार देती है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयास अक्सर नाकाफी साबित होते हैं। लोग हर साल इस दमघोंटू माहौल में सांस लेने को मजबूर होते हैं। राजनीतिक बयानबाजी भी जारी रहती है, लेकिन स्थिति में सुधार की कोई उम्मीद नहीं दिखती।
