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दिल्ली में प्रदूषण के बीच वर्चुअल सुनवाई की मांग

दिल्ली में वायु गुणवत्ता के गंभीर स्तर को देखते हुए वरिष्ठ वकील विकास पाहवा ने उच्च न्यायालय से वर्चुअल सुनवाई की मांग की है। उन्होंने बताया कि प्रदूषण का स्तर इतना खतरनाक है कि यह वकीलों और अदालत के कर्मचारियों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है। पाहवा ने सुझाव दिया कि हाइब्रिड सुनवाई से न केवल स्वास्थ्य को सुरक्षित रखा जा सकेगा, बल्कि न्यायिक कार्य भी सुचारू रूप से जारी रहेगा। जानें इस मुद्दे पर और क्या कहा गया है।
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दिल्ली में प्रदूषण के बीच वर्चुअल सुनवाई की मांग

दिल्ली उच्च न्यायालय में वकील की अपील


नई दिल्ली: दिल्ली में वायु गुणवत्ता के लगातार बिगड़ते हालात को देखते हुए वरिष्ठ वकील विकास पाहवा ने उच्च न्यायालय से अनुरोध किया है कि वकीलों, वादियों और अदालत के कर्मचारियों की सेहत की सुरक्षा के लिए कुछ समय के लिए हाइब्रिड या वर्चुअल सुनवाई का विकल्प अपनाया जाए।


पाहवा ने यह अपील मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय को एक विस्तृत पत्र के माध्यम से की है। उन्होंने बताया कि दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) लगातार 'गंभीर' श्रेणी में बना हुआ है, जिसमें कई क्षेत्रों में AQI 450 से 600 के बीच दर्ज किया गया है, जो अत्यंत खतरनाक है। वहीं, PM2.5 का स्तर 190 mg/m³ से अधिक हो चुका है, जबकि इसकी सुरक्षित सीमा 60 mg/m³ है। यह स्तर स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक हानिकारक है।


दिल्ली की जहरीली हवा का खतरा

पाहवा ने कहा कि इतना गंभीर प्रदूषण केवल असुविधा नहीं, बल्कि फेफड़ों, दिल और मस्तिष्क जैसे महत्वपूर्ण अंगों को स्थायी नुकसान पहुंचा सकता है। उन्होंने बताया कि कानूनी क्षेत्र में कई लोग पहले से ही अस्थमा, उच्च रक्तचाप और मधुमेह जैसी बीमारियों से ग्रसित हैं, और उनके लिए यह प्रदूषण और भी अधिक खतरनाक है। कई वकील खांसी, गले में जलन, सांस लेने में कठिनाई और थकान जैसी समस्याओं का सामना कर रहे हैं।


उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा की हालिया टिप्पणी का भी उल्लेख किया, जिसमें उन्होंने वकीलों को स्वास्थ्य जोखिम कम करने के लिए वर्चुअल सुनवाई अपनाने की सलाह दी थी। पाहवा ने बताया कि केंद्र और दिल्ली सरकार पहले ही GRAP के स्टेज III और IV जैसे आपातकालीन नियम लागू कर चुकी हैं, जिनमें निर्माण कार्यों पर रोक, कुछ डीजल वाहनों पर प्रतिबंध, सरकारी कार्यालयों के समय में बदलाव और एंटी-स्मॉग गन की तैनाती जैसे कदम शामिल हैं।


स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं में वृद्धि

हालांकि, इन सख्त उपायों के बावजूद, अदालत परिसर में रोजाना हजारों लोगों की उपस्थिति उन्हें ऐसे प्रदूषण के बीच अनावश्यक खतरे में डाल रही है। इसी कारण, उन्होंने अदालत से अनुरोध किया कि अस्थायी रूप से वर्चुअल या हाइब्रिड सुनवाई फिर से शुरू की जाए, जैसा कि कोविड-19 महामारी के दौरान सफलतापूर्वक किया गया था।


पाहवा का कहना है कि वर्चुअल सुनवाई से दो लाभ होंगे; एक ओर लोगों को जहरीली हवा से राहत मिलेगी, वहीं दूसरी ओर न्यायिक कार्य भी बिना किसी रुकावट के जारी रहेगा। यह कदम सरकार के प्रदूषण कम करने के प्रयासों का भी समर्थन करेगा, क्योंकि इससे यातायात और वाहन उत्सर्जन पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।


अंत में, उन्होंने कहा कि जब तक प्रदूषण का स्तर सामान्य नहीं हो जाता, तब तक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई करना एक संवेदनशील और दूरदर्शी कदम होगा, जो जनता के स्वास्थ्य और न्याय दोनों को सुरक्षित रखेगा।