दिल्ली में वायु गुणवत्ता में गिरावट, AQI 303 पर पहुंचा
दिल्ली की वायु गुणवत्ता की स्थिति
नई दिल्ली: शनिवार को दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 303 के स्तर पर पहुंच गया, जो 'बहुत खराब' श्रेणी में आता है। यह आंकड़ा शुक्रवार के 218 से काफी अधिक है। प्रदूषण विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि राहत की कोई संभावना नहीं है, क्योंकि दिल्ली अब अपने सबसे प्रदूषित पखवाड़े में प्रवेश कर चुकी है।
प्रदूषण का मौसमी प्रभाव
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) के अनुसार, हर साल 1 से 15 नवंबर के बीच का समय राजधानी के लिए सबसे अधिक प्रदूषित होता है। 2018 से 2023 के बीच इस अवधि का औसत AQI 371 रहा है। इस समय पराली जलाने, त्योहारी यातायात और प्रतिकूल मौसम प्रदूषण को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
पिछले वर्ष की तुलना
पिछले वर्ष नवंबर में दिल्ली में आठ दिन ऐसे थे जब AQI 400 से ऊपर चला गया था, जिनमें से छह दिन 1 से 15 नवंबर के बीच थे। इस साल दिवाली अक्टूबर में मनाई गई, लेकिन प्रदूषण का स्तर पहले से ही बढ़ने लगा है। SAFAR के संस्थापक और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज के प्रोफेसर गुफरान बेग ने बताया कि पंजाब में बाढ़ के कारण पराली जलाने का पीक सीजन लगभग एक हफ्ते देरी से शुरू हुआ है।
प्रदूषण की चरम स्थिति
बेग ने कहा कि आमतौर पर 1 से 15 नवंबर के बीच प्रदूषण अपने चरम पर होता है, लेकिन इस बार बड़े पैमाने पर जलाने की घटनाएं अभी शुरू नहीं हुई हैं। उन्होंने यह भी बताया कि तापमान में कमी अभी तक अधिक नहीं आई है, जो प्रदूषण नियंत्रण में सहायक है, क्योंकि ठंड बढ़ने पर हवा में प्रदूषक तत्वों का फैलाव धीमा हो जाता है।
प्रदूषण के स्रोत
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रदूषण के स्रोतों का पता लगाने वाली 'डिसीजन सपोर्ट सिस्टम' रिपोर्ट के अनुसार, शुक्रवार को दिल्ली के PM2.5 स्तर में पराली जलाने का योगदान केवल 1.6 प्रतिशत रहा। इस सीजन में अधिकतम योगदान 28 अक्टूबर को 5.8 प्रतिशत दर्ज किया गया था।
स्थानीय स्रोतों का प्रभाव
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) की कार्यकारी निदेशक अनुपमा रॉयचौधरी ने कहा कि वर्तमान में प्रदूषण में वृद्धि का मुख्य कारण स्थानीय स्रोत हैं। उन्होंने बताया कि वाहनों का धुआं, निर्माण कार्य से उठने वाली धूल और कचरा जलाना दिल्ली के प्रदूषण के प्रमुख कारक हैं। इन पर नियंत्रण के लिए पूरे साल ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
भविष्य की स्थिति
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के 'एयर क्वालिटी अर्ली वार्निंग सिस्टम' ने अनुमान लगाया है कि 2 से 10 नवंबर के बीच हवा 'बहुत खराब' श्रेणी में बनी रहेगी। दिसंबर के अंतिम पंद्रह दिन और जनवरी के पहले पखवाड़े को भी दिल्ली के सबसे प्रदूषित समय में गिना गया है, जबकि जुलाई और अगस्त को सबसे स्वच्छ महीनों में माना गया है।
