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दिल्ली में वोटर लिस्ट रिवीजन: 2002 की सूची से होगी पुष्टि, चुनाव आयोग की नई पहल

दिल्ली में चुनाव आयोग ने वोटर लिस्ट के रिवीजन की प्रक्रिया शुरू की है, जिसमें 2002 की सूची से नामों की पुष्टि की जाएगी। यह कदम सही मतदाता पहचानने और चुनावों को पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से उठाया गया है। आयोग का लक्ष्य 26 अक्टूबर, 2025 तक इस रिवीजन को पूरा करना है। जानें इस प्रक्रिया के पीछे के कारण और बिहार में हुए एसआईआर के परिणाम क्या रहे।
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दिल्ली में वोटर लिस्ट रिवीजन: 2002 की सूची से होगी पुष्टि, चुनाव आयोग की नई पहल

दिल्ली में वोटर लिस्ट का रिवीजन शुरू

दिल्ली SIR: चुनाव आयोग ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में मतदाता सूची के रिवीजन की प्रक्रिया आरंभ कर दी है। इस प्रक्रिया के तहत, मतदाताओं से उनके और उनके माता-पिता के नामों की पुष्टि के लिए 2002 की वोटर लिस्ट का संदर्भ लिया जाएगा। आयोग का उद्देश्य 26 अक्टूबर, 2025 तक इस रिवीजन को पूरा करना है। दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने सही मतदाता सूची तैयार करने के लिए सभी आवश्यक तैयारियां शुरू कर दी हैं।


2002 की वोटर लिस्ट से नामों की पुष्टि

नामों की पुष्टि की प्रक्रिया
मतदाता सूची में नामों की पुष्टि के लिए 2002 की लिस्ट का उपयोग किया जाएगा। इस प्रक्रिया में मतदाताओं को घर-घर जाकर यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है कि उनका नाम सही तरीके से सूची में शामिल हो। यदि किसी व्यक्ति का नाम लिस्ट में नहीं है या कोई विसंगति पाई जाती है, तो उन्हें पहचान पत्र और 2002 की लिस्ट का एक अंश प्रस्तुत करना होगा। यह जानकारी दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट पर पहले ही उपलब्ध कराई जा चुकी है।


दिल्ली में मतदाताओं की स्थिति

मतदाताओं की संख्या
दिल्ली में कुल 83.4 लाख पुरुष और 71.74 लाख महिला मतदाता हैं। इस बार के रिवीजन में यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि जिनके नाम सूची में हैं, वे सही पात्र हैं। इसके अलावा, यह भी ध्यान रखा जा रहा है कि यदि किसी मतदाता ने पिछले दो दशकों में अपना स्थान बदला है, तो उनकी जानकारी ठीक से अपडेट हो सके। चुनाव आयोग ने यह भी कहा कि सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में यह पुनरीक्षण 26 अक्टूबर तक पूरा होना चाहिए।


विशेष गहन संशोधन की प्रक्रिया

SIR की प्रक्रिया
एसआईआर (विशेष गहन संशोधन) का कदम बिहार में किए गए वोटर लिस्ट रिवीजन के बाद उठाया गया है। बिहार में वोटर लिस्ट में धोखाधड़ी के आरोपों को लेकर विपक्ष ने इस संशोधन का विरोध किया था। उनका कहना था कि इस प्रक्रिया के कारण हाशिए पर पड़े समूहों के लाखों पुरुष और महिलाएं मताधिकार से वंचित हो सकते हैं। चुनाव आयोग का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि केवल भारतीय नागरिक ही मतदान करें और किसी भी तरह की धोखाधड़ी या गैरकानूनी मतदान को रोका जा सके।


बिहार में SIR के परिणाम

मतदाताओं की संख्या में कमी
बिहार में एसआईआर प्रक्रिया के तहत मतदाताओं की संख्या 7.24 करोड़ से घटकर 7.9 करोड़ से भी कम हो गई। इसमें से 65 लाख मतदाता ऐसे थे जिनके नाम सूची से हटा दिए गए थे। इनमें 22 लाख ऐसे थे जिनकी मृत्यु हो चुकी थी, 36 लाख ऐसे थे जो बिहार से स्थायी रूप से चले गए थे, और 7 लाख के नाम दोहरे पंजीकरण में पाए गए थे। हालांकि, इस संशोधन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में भी बहस हुई थी, लेकिन अदालत ने चुनाव आयोग को इस प्रक्रिया को जारी रखने का अधिकार दिया।


सुप्रीम कोर्ट का रुख

सुप्रीम कोर्ट का निर्णय
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार एसआईआर को रोकने के मामले में कोई फैसला नहीं लिया, हालांकि कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि यह साबित होता है कि यह प्रक्रिया अवैध है, तो इसे रद्द किया जा सकता है। इस बीच, सर्वोच्च न्यायालय ने चुनाव आयोग को संविधान के तहत मतदाता सूचियों को संशोधित और पुनः जांचने की अनुमति दी है।


चुनाव आयोग की प्रतिबद्धता

वोटर लिस्ट के रिवीजन का यह कदम चुनाव आयोग की ओर से एक महत्त्वपूर्ण निर्णय है, जिसका उद्देश्य चुनावों को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाना है। साथ ही यह सुनिश्चित करना है कि केवल सही नागरिक ही मतदान करें। इस प्रक्रिया को लेकर विभिन्न विवाद और आपत्तियों के बावजूद, चुनाव आयोग अपने कार्य में पूरी तरह से प्रतिबद्ध दिख रहा है।