बिहार विधानसभा चुनाव 2025: तेज प्रताप यादव की हार और करिश्मा राय की जीत
बिहार चुनाव 2025 के नतीजे
पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में कई सीटों पर अप्रत्याशित परिणाम सामने आ रहे हैं, जिनमें महुआ और परसा प्रमुख हैं। जनशक्ति जनता दल के नेता तेज प्रताप यादव को महुआ सीट पर हार का सामना करना पड़ा है, जबकि उनकी साली करिश्मा राय परसा सीट पर शानदार जीत की ओर बढ़ रही हैं। यह विरोधाभासी परिणाम राजनीतिक चर्चाओं का विषय बन गया है।
परसा में करिश्मा राय की जीत
तेजस्वी यादव की सिफारिश पर आरजेडी ने करिश्मा राय को परसा सीट से टिकट दिया था। करिश्मा पेशे से डेंटिस्ट हैं और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री दारोगा राय की पोती हैं, जिससे उनका राजनीतिक पृष्ठभूमि भी मजबूत है। करिश्मा तेज प्रताप यादव की पहली पत्नी ऐश्वर्या राय की चचेरी बहन हैं।
इस चुनाव में करिश्मा राय को 57,128 वोट मिले, जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी जदयू के छोटे लाल राय को 38,309 वोट प्राप्त हुए। यह 18,819 वोटों का अंतर दर्शाता है कि करिश्मा बड़े जनसमर्थन के साथ विधानसभा में अपनी जगह बनाने जा रही हैं। उनकी जीत आरजेडी के लिए एक बड़ी राहत और नई पीढ़ी के नेतृत्व की पहचान के रूप में देखी जा रही है।
महुआ में तेज प्रताप की हार
महुआ सीट पर आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव को इस बार बड़ा झटका लगा है। वे जनशक्ति जनता दल (JJD) के उम्मीदवार हैं, लेकिन जनता ने उन्हें पूरी तरह नकार दिया है।
ताजा आंकड़ों के अनुसार:
LJP (रामविलास) के संजय कुमार सिंह 78,286 वोट के साथ बड़ी बढ़त पर हैं।
RJD के मुकेश कुमार रौशन 39,582 वोट के साथ दूसरे स्थान पर हैं।
तेज प्रताप यादव 33,385 वोट पर सिमट गए हैं और वे तीसरे स्थान पर हैं।
तेज प्रताप की हार का अंतर 44,901 वोटों से अधिक पहुंच चुका है, जो उनके राजनीतिक प्रभाव में भारी गिरावट को दर्शाता है।
एक ही परिवार में हार-जीत से बढ़ी चर्चा
तेज प्रताप यादव की हार और करिश्मा राय की जीत ने राजनीतिक गलियारे में नई चर्चाओं को जन्म दिया है। एक ओर तेज प्रताप का प्रभाव कम होता दिख रहा है, वहीं करिश्मा की जीत आरजेडी के लिए नई उम्मीद लेकर आई है। महुआ में मतदाताओं ने तेज प्रताप के कामकाज और विवादित छवि के कारण उन्हें नकार दिया, जबकि परसा में करिश्मा की साफ-सुथरी छवि और परिवार की राजनीतिक विरासत ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
RJD के लिए मिला मिश्रित संदेश
इस चुनाव में आरजेडी को करिश्मा राय जैसी नई नेता की लोकप्रियता का फायदा मिलता दिख रहा है, लेकिन तेज प्रताप की हार पार्टी के लिए चुनौती भी पेश करती है। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह चुनाव स्पष्ट संकेत देता है कि बिहार की जनता अब प्रदर्शन, स्थिर नेतृत्व और साफ छवि को प्राथमिकता दे रही है।
