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बिहार विधानसभा चुनाव 2025: तेजस्वी यादव की आरजेडी को मिली निराशा

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के परिणामों ने आरजेडी को निराश किया है, जबकि बीजेपी और जदयू ने मजबूत स्थिति बनाई है। तेजस्वी यादव की पार्टी ने वोट शेयर में बढ़त बनाई, लेकिन सीटों में पिछड़ गई। जानें इसके पीछे के कारण और चुनावी समीकरणों का नया चेहरा।
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बिहार विधानसभा चुनाव 2025: तेजस्वी यादव की आरजेडी को मिली निराशा

बिहार चुनाव के परिणामों का नया समीकरण


पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के परिणामों ने राजनीतिक परिदृश्य को फिर से बदलने का संकेत दिया है। चुनावों से पहले तेजस्वी यादव को एक मजबूत दावेदार माना जा रहा था, लेकिन जैसे-जैसे रुझान सामने आए, स्थिति पूरी तरह से बदल गई। आरजेडी, जिसने 15 साल बाद चुनाव में उत्साह के साथ भाग लिया, अब रिकॉर्ड तोड़ हार की ओर बढ़ती नजर आ रही है। सीटों के मामले में यह पार्टी तीसरे स्थान पर खिसक गई है, जबकि वोट शेयर में यह अभी भी शीर्ष पर है।


बीजेपी और जदयू की स्थिति

चुनाव आयोग द्वारा जारी रुझानों के अनुसार, बीजेपी 92 सीटों के साथ सबसे आगे है। इसके बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जदयू 83 सीटों पर मजबूत स्थिति में है। तेजस्वी यादव की आरजेडी केवल 26 सीटों पर सिमटती दिख रही है, जबकि लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) 19 सीटों पर पहुंचती नजर आ रही है। कांग्रेस के लिए यह चुनाव बेहद निराशाजनक साबित हुआ, क्योंकि वह केवल 5 सीटों पर सिमट गई है।


आरजेडी का वोट शेयर

हालांकि सीटों में पिछड़ने के बावजूद, वोट शेयर की स्थिति अलग है। आरजेडी 22.81% वोट के साथ पहले स्थान पर है। इसके बाद बीजेपी को 20.52% और जदयू को 18.98% वोट मिले हैं। यह आंकड़ा दर्शाता है कि तेजस्वी यादव की लोकप्रियता वोट प्रतिशत में स्पष्ट है, लेकिन यह समर्थन सीटों में नहीं बदल सका। कांग्रेस को 8.75% और लोजपा (रामविलास) को 5.03% वोट मिले हैं।


कितनी सीटों पर लड़ा कौन?

एनडीए के तहत बीजेपी और जदयू दोनों ने 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ा। लोजपा (रामविलास) ने 29, हम (सेक्युलर) ने 6 और राष्ट्रीय लोक मोर्चा ने भी 6 सीटों पर चुनाव लड़ा। वहीं महागठबंधन की ओर से आरजेडी ने 143 सीटों पर दांव लगाया, कांग्रेस 61 सीटों पर उतरी और वीआईपी ने 15 सीटों पर मुकाबला किया।


आरजेडी की हार के कारण

सबसे बड़ा सवाल यह है कि वोट प्रतिशत में सबसे आगे रहने के बावजूद आरजेडी सीटों में क्यों पिछड़ गई? इसके पीछे कई कारण हैं:



  • सीटों का खराब वितरण

  • महागठबंधन की आंतरिक कमजोरियां

  • एनडीए की संगठित रणनीति

  • जदयू-बीजेपी का संयुक्त वोट ट्रांसफर

  • लोजपा (रामविलास) की कई सीटों पर निर्णायक भूमिका


तेजस्वी यादव को भले ही वोटों में बढ़त मिली हो, लेकिन सीटों की राजनीति में उनकी रणनीति असफल रही।