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बिहार विधानसभा चुनाव ने स्थापित किए नए मानक, 67.13% मतदान

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 ने 67.13% मतदान के साथ एक नया इतिहास रचा है। इस बार चुनाव में न केवल मतदान का प्रतिशत बढ़ा, बल्कि हिंसा की घटनाएं भी शून्य रहीं। जानें कैसे बिहार ने 'जंगलराज' से 'जीरो रि-पोलिंग' की ओर कदम बढ़ाया और चुनावी प्रक्रिया में सुधार हुआ। यह चुनाव बिहार के राजनीतिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ है।
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बिहार विधानसभा चुनाव ने स्थापित किए नए मानक, 67.13% मतदान

बिहार विधानसभा चुनाव का ऐतिहासिक मतदान

पटना: इस बार के बिहार विधानसभा चुनाव ने कई नए रिकॉर्ड स्थापित किए हैं। बिहार के राजनीतिक इतिहास में पहली बार 67.13 प्रतिशत मतदान हुआ है। इसके साथ ही, राज्य ने 'जंगलराज' से 'जीरो रि-पोलिंग' की ओर कदम बढ़ाया है।


इस चुनाव में किसी भी मतदान केंद्र पर पुनर्मतदान की आवश्यकता नहीं पड़ी। मतदान के दौरान हिंसा की कोई घटना नहीं हुई, जिससे यह चुनाव एक साफ-सुथरी और शांतिपूर्ण प्रक्रिया के रूप में देखा गया।


राजद के शासनकाल में, जिसे विपक्ष 'जंगल राज' कहता है, चुनावी धांधली और पुनर्मतदान की घटनाएं आम थीं। चुनाव हिंसा, हत्याएं, बूथ कैप्चरिंग और फर्जी मतदान की घटनाएं अक्सर होती थीं।


आंकड़ों के अनुसार, 1985 में बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान 63 हत्याएं हुई थीं, और 156 बूथों पर पुनर्मतदान कराना पड़ा था। 1990 के चुनावों में, जब जनता दल ने सत्ता हासिल की, लगभग 87 मौतें हुईं।


1995 के चुनावों में, लालू यादव के नेतृत्व में जनता दल ने बेहतर प्रदर्शन किया, लेकिन हिंसा और चुनावी धांधली की घटनाएं बढ़ गईं। तत्कालीन चुनाव आयुक्त टीएन शेषन को अभूतपूर्व हिंसा के कारण चुनाव चार बार स्थगित करने पड़े।


2005 के चुनावों में, हिंसा और कदाचार के कारण 660 मतदान केंद्रों पर पुनर्मतदान कराया गया। उस वर्ष नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जदयू ने पहली बार सत्ता में कदम रखा।


2005 के बाद से राज्य में कानून-व्यवस्था में सुधार हुआ है, और चुनावी हिंसा तथा धांधली की घटनाएं कम हुई हैं। इसका ताजा उदाहरण 2025 का विधानसभा चुनाव है, जिसमें किसी भी निर्वाचन क्षेत्र में पुनर्मतदान की मांग नहीं की गई और मतदान के समय कोई हिंसा नहीं हुई।