ब्रिटेन की गलती से 1 लाख अफगान नागरिकों की जान में खतरा, तालिबान ने किया हमला

ब्रिटेन का डेटा लीक: एक गंभीर संकट
UK Afghan Data Leak: ब्रिटेन की एक बड़ी चूक ने लगभग 1 लाख अफगान नागरिकों की सुरक्षा को खतरे में डाल दिया है। ब्रिटिश रक्षा मंत्रालय द्वारा लीक की गई एक गोपनीय सूची ने उन अफगान नागरिकों की पहचान उजागर कर दी है, जो ब्रिटिश सेना और ख़ुफिया एजेंसियों के लिए काम कर रहे थे। अब यह चिंता जताई जा रही है कि यह सूची तालिबान के हाथ लग गई है, जिससे इन नागरिकों की जान को गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है। इस घटना के बाद, ब्रिटिश सरकार ने प्रभावित नागरिकों को एक 'सॉरी' नोट भेजा, जिसमें बताया गया कि उनका व्यक्तिगत डेटा लीक हो गया है। यह घटना ब्रिटेन के इतिहास में सबसे बड़ा डेटा उल्लंघन माना जा रहा है, जिसके कारण लगभग 1 लाख अफगान नागरिकों की जान संकट में पड़ गई है।
तालिबान द्वारा हत्याओं की पुष्टि
हालिया मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, पिछले सप्ताह में तीन हत्याएं हुई हैं, जो सीधे तौर पर ब्रिटेन से जुड़ी हैं। मारे गए लोगों में से एक व्यक्ति को चार बार गोली मारी गई, जबकि एक महिला को उसके पति के ब्रिटेन से संबंध के कारण सार्वजनिक रूप से पीटा गया। ये घटनाएं दर्शाती हैं कि तालिबान ने लीक हुई जानकारी का उपयोग कर इन नागरिकों को निशाना बनाया है।
300 से अधिक हत्याओं का रिकॉर्ड
डेली मेल ने 300 से अधिक हत्याओं की एक सूची देखी है, जिसमें वे लोग भी शामिल हैं जिन्होंने ब्रिटेन की अफ़ग़ान पुनर्वास योजना (ARAP) के लिए आवेदन किया था। उदाहरण के लिए, ब्रिटिश सेना में कार्यरत कर्नल शफीर अहमद खान की मई 2022 में उनके घर के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इसी तरह, कमांडो अहमदज़ई और सैनिक कासिम की भी अप्रैल 2023 में हत्या कर दी गई थी।
सरकार की चुप्पी और संसद की आलोचना
तालिबानी हत्याओं के बीच, ब्रिटिश सरकार ने ऑपरेशन रूबिफ़िक नामक एक गुप्त निकासी अभियान चलाया है, जिसके तहत अगस्त 2023 से अब तक 18,500 अफगान नागरिकों को ब्रिटेन लाया गया है। कुल 23,900 लोगों को लाने की योजना है, लेकिन लगभग 75,000 अफगान अभी भी वहीं फंसे हुए हैं। इन लोगों को केवल 'सुरक्षा संबंधी सलाह' ही दी गई है।
ब्रिटेन ने लीक को छिपाने का प्रयास किया, लेकिन अब संसद की आलोचना का सामना कर रहा है। तीन संसदीय जांचें शुरू हो चुकी हैं, और सांसद सवाल उठा रहे हैं कि सरकार ने यह जानकारी पहले क्यों नहीं दी। हैरानी की बात यह है कि अक्टूबर में सरकार ने बिना किसी बहस के 7 अरब पाउंड (₹75,000 करोड़) के खर्च को मंजूरी दे दी।