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कांग्रेस ने पहलगाम हमले पर नेताओं को दी सख्त हिदायत, विवादित बयानों पर लगाई रोक

कांग्रेस पार्टी ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद अपने नेताओं को आधिकारिक स्थिति से भिन्न बयान देने से रोकने का निर्णय लिया है। इस हमले में 26 लोगों की जान गई थी, और पार्टी के भीतर असहमति की स्थिति उत्पन्न हो गई थी। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने स्पष्ट किया कि कुछ नेताओं के बयान पार्टी की आधिकारिक स्थिति का प्रतिनिधित्व नहीं करते। इस विवाद ने पार्टी को अपनी स्थिति को स्पष्ट करने की आवश्यकता महसूस कराई है। जानें इस मामले में और क्या हुआ।
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कांग्रेस का आधिकारिक रुख स्पष्ट करने का निर्देश

कांग्रेस पार्टी ने सोमवार को अपने नेताओं को निर्देशित किया है कि वे जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले पर पार्टी की आधिकारिक स्थिति से भिन्न बयान देने से बचें। इस क्रूर हमले में 26 निर्दोष लोगों की जान गई थी। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और वरिष्ठ नेता राहुल गांधी के नेतृत्व में यह निर्णय लिया गया, क्योंकि हाल के दिनों में कई कांग्रेस नेताओं के बयानों ने विवाद उत्पन्न किया और पार्टी की स्थिति को लेकर भ्रम की स्थिति पैदा कर दी थी।


कांग्रेस की असहमति और स्पष्टता

सर्वदलीय बैठक के दो दिन बाद, कांग्रेस ने केंद्र सरकार की आतंकवादी हमले के बाद की गई कार्रवाई का समर्थन किया था, लेकिन इस मुद्दे पर पार्टी के भीतर असहमति उत्पन्न हो गई। सूत्रों के अनुसार, खड़गे और राहुल गांधी इस बात से चिंतित थे कि कुछ नेताओं ने अपनी व्यक्तिगत राय सार्वजनिक रूप से साझा की, जिससे पार्टी की आधिकारिक स्थिति पर सवाल उठने लगे।


कांग्रेस महासचिव का बयान

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने इस मामले में एक स्पष्ट बयान जारी करते हुए कहा कि कुछ नेताओं की टिप्पणियां पार्टी की आधिकारिक स्थिति का प्रतिनिधित्व नहीं करती हैं। उन्होंने कहा, "कुछ कांग्रेस नेता मीडिया से बात कर रहे हैं। वे अपने लिए बोलते हैं और कांग्रेस के विचारों को नहीं दर्शाते। इस समय, किसी को भी यह भ्रम नहीं होना चाहिए कि कांग्रेस कार्यसमिति का प्रस्ताव मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी द्वारा व्यक्त किए गए विचार ही कांग्रेस का रुख हैं।"


आंतरिक कार्रवाई की चेतावनी

कांग्रेस ने इस स्थिति को गंभीरता से लिया है और भविष्य में किसी भी नेता द्वारा पार्टी की आधिकारिक स्थिति के खिलाफ बयान देने पर आंतरिक कार्रवाई की बात की है। पार्टी नेतृत्व ने यह स्पष्ट कर दिया है कि पहलगाम आतंकवादी हमले पर आगे किसी भी बयान में कांग्रेस की घोषित स्थिति का कड़ाई से पालन करना होगा।


पहलगाम हमले का विवरण

22 अप्रैल को, लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) की शाखा 'द रेजिस्टेंस फ्रंट' (टीआरएफ) से जुड़े आतंकवादियों के एक समूह ने पहलगाम में 26 लोगों की हत्या कर दी थी। इनमें अधिकांश पर्यटक थे। इस हमले ने कश्मीर में आतंकवाद की एक नई लहर को जन्म दिया और भारत-पाकिस्तान के बीच पहले से ही तनावपूर्ण रिश्तों में और वृद्धि की। हमलावरों ने कथित तौर पर पीड़ितों से उनकी धार्मिक पहचान पूछने के बाद उन्हें निशाना बनाया, जिससे यह घटना और अधिक संवेदनशील हो गई।


विवादास्पद टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने इस हमले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि पाकिस्तान के साथ युद्ध की कोई आवश्यकता नहीं है, बल्कि केंद्र सरकार को सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करने के उपायों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। उन्होंने कहा, "युद्ध की कोई जरूरत नहीं है। कड़े कदम उठाए जाने चाहिए। सुरक्षा व्यवस्था कड़ी किए जाने की जरूरत है। हम युद्ध के पक्ष में नहीं हैं। शांति होनी चाहिए, लोगों को सुरक्षा मिलनी चाहिए और केंद्र सरकार को सुरक्षा उपाय करने चाहिए..." बाद में मुख्यमंत्री ने यह दावा किया कि उनके बयान को गलत तरीके से पेश किया गया और यदि युद्ध अपरिहार्य हो, तो भारत को पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई करनी पड़ेगी।


आतंकवादियों के दावों पर सवाल

इस बीच, महाराष्ट्र कांग्रेस के नेता विजय वडेट्टीवार ने आतंकवादियों द्वारा पीड़ितों से उनकी धार्मिक पहचान पूछने के दावे पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि सरकार को पहलगाम आतंकवादी हमले की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। उन्होंने कहा, "कुछ लोग कहते हैं कि ऐसा नहीं हुआ। आतंकवादियों की कोई जाति, धर्म नहीं होता। हमले के जिम्मेदार लोगों की पहचान करें और उचित कार्रवाई करें। यह देश की भावना है।"


कांग्रेस की स्थिति पर स्पष्टता

इस विवाद ने कांग्रेस के भीतर एक असहमति की स्थिति पैदा की है और पार्टी को अपनी आधिकारिक स्थिति को स्पष्ट करने की आवश्यकता महसूस हुई है। पार्टी नेतृत्व ने अब स्पष्ट कर दिया है कि इस मुद्दे पर किसी भी नेता द्वारा बयानबाजी पार्टी की आधिकारिक नीति से अलग नहीं होनी चाहिए।