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क्या होता यदि भारत ने इंग्लैंड की तरह विश्व पर साम्राज्य स्थापित किया होता?

क्या होता यदि भारत ने इंग्लैंड की तरह विश्व पर साम्राज्य स्थापित किया होता? इस लेख में हम इस विचार पर चर्चा करेंगे कि कैसे भारतीय भाषाएं आज की स्थिति में होतीं। क्या भारतीय भाषाएं भी वैश्विक स्तर पर प्रचलित होतीं? जानें इस लेख में कि साम्राज्य और भाषा का क्या संबंध है और कैसे अनैतिकता का साम्राज्य स्थापित करने में योगदान होता है।
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क्या होता यदि भारत ने इंग्लैंड की तरह विश्व पर साम्राज्य स्थापित किया होता?

भारतीय भाषाओं की संभावित समृद्धि

(भाग – 1)

कल्पना कीजिए, यदि भारत ने इंग्लैंड की तरह वैश्विक साम्राज्य स्थापित किया होता, तो भारतीय भाषाएं कितनी समृद्ध होतीं! जिस प्रकार आज अंग्रेजी विश्व में प्रमुखता से बोली जाती है, उसी तरह भारतीय भाषाएं भी वैश्विक स्तर पर प्रचलित होतीं। आज, यदि अंग्रेजी की जगह कोई भारतीय भाषा अंतरराष्ट्रीय भाषा होती, तो वह भारतीय भाषाओं में से एक होती। जैसे आज अंग्रेजी के बिना जीवन कठिन है, वैसा ही भारतीय भाषाओं के बिना भी जीवन कठिन हो जाता। लोग भारतीय भाषाएं पढ़ने के लिए मजबूर होते, जैसे आज अंग्रेजी पढ़ना आवश्यक है। लेकिन, साम्राज्य स्थापित करने के लिए अनैतिक कार्यों की आवश्यकता होती है, जो भारत ने नहीं किए। इंग्लैंड ने जो अनैतिक कार्य किए, उसका फल वह भोग रहा है, जबकि भारत ने अपनी स्वतंत्रता और संस्कृति को खोया है।


साम्राज्य और भाषा का संबंध

विशेष: पाठकों, इस लेख पर आपत्ति करने से पहले इसके मूल तत्व को समझें। जिस देश का साम्राज्य होता है, उसकी भाषा सरकारी कार्यों में प्रचलित होती है। यदि साम्राज्य न भी हो, तो भी उसकी भाषा का प्रभाव लंबे समय तक बना रहता है। अंग्रेजी का अंतरराष्ट्रीय भाषा बनना इसी कारण है कि इंग्लैंड ने विश्व के बड़े हिस्से पर साम्राज्य स्थापित किया। यदि आप इस तथ्य को समझते हैं, तो आप मेरे विचारों से सहमत होंगे। यदि नहीं, तो एक दिन अंग्रेजी के बिना जीकर देखिए। आप जान जाएंगे कि आप अंग्रेजी के बिना नहीं रह सकते।


यूरोपीय साम्राज्य और उसके प्रभाव

यह सभी को ज्ञात है कि यूरोप के कुछ देशों, विशेषकर इंग्लैंड ने, विश्व के कई देशों को गुलाम बनाकर अपना साम्राज्य स्थापित किया। इनमें से कई देश आज भी इंग्लैंड के अधीन हैं। उदाहरण के लिए, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा। इसी तरह, फ्रांस और स्पेन ने भी कई देशों पर शासन किया।


अनैतिकता और साम्राज्य का निर्माण

किसी देश के मूल निवासियों पर अत्याचार करना और उन्हें गुलाम बनाना एक बड़ी अनैतिकता है। यूरोपीय देशों को इन अनैतिक कार्यों का दंड मिलना चाहिए था, लेकिन इसके विपरीत, उन्होंने अपने साम्राज्य के कारण जनसंख्या, भाषा और संस्कृति को बढ़ावा दिया। उदाहरण के लिए, उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका में यूरोपीय लोगों ने लाखों मूल निवासियों को मारा।


भारतीय भाषाओं का भविष्य

इससे स्पष्ट होता है कि अपनी भाषा और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए साम्राज्य स्थापित करना आवश्यक है। यह भी सत्य है कि साम्राज्य स्थापित करने के लिए अनैतिकता और क्रूरता का सहारा लेना पड़ता है। आज भी, इंग्लैंड और अमेरिका जैसे अंग्रेजी-भाषी लोग विश्व के बड़े हिस्से पर शासन कर रहे हैं।


अंग्रेजी का वैश्विक प्रभाव

हालांकि इंग्लैंड का साम्राज्य अब कई देशों में नहीं है, फिर भी उनकी भाषा का उपयोग जारी है। जहां भी अंग्रेजी का प्रभाव नहीं है, वहां भी स्थानीय भाषाएं अंग्रेजी लिपि में लिखी जा रही हैं। उदाहरण के लिए, मलेशिया और वियतनाम में।


भारतीय भाषाओं का लुप्त होना

भारतीय भाषाएं, जो नैतिकता के कारण विश्व में प्रचलित नहीं हो पाईं, अब भारत में भी लुप्त हो रही हैं। जबकि अंग्रेजी, जो अनैतिकता से स्थापित हुई, विश्व में प्रफुल्लित हो रही है। भारत में सरकारी कार्य आज भी अंग्रेजी में होते हैं।


निष्कर्ष

इस लेख से यह स्पष्ट होता है कि यदि भारत ने इंग्लैंड की तरह साम्राज्य स्थापित किया होता, तो सभी देशों में सरकारी कार्य भारतीय भाषाओं में होते।


संपर्क जानकारी

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें: राजपाल कौर +91 9023150008, तजिंदर सिंह +91 9041000625, रतनदीप सिंह +91 9650066108
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