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दिल्ली एमसीडी में भाजपा का दबदबा: राजा इकबाल सिंह बनेंगे नए मेयर

दिल्ली नगर निगम में भाजपा का दबदबा बढ़ गया है, और राजा इकबाल सिंह मेयर पद के लिए प्रमुख दावेदार बन गए हैं। आम आदमी पार्टी ने इस बार मेयर पद के लिए उम्मीदवार न उतारने का निर्णय लिया है, जिससे भाजपा की राह पूरी तरह साफ हो गई है। राजा इकबाल सिंह का राजनीतिक सफर और उनकी भूमिका पर चर्चा करते हुए, यह स्पष्ट होता है कि उनका मेयर बनना अब लगभग तय है। जानें इस राजनीतिक बदलाव के पीछे की कहानी और क्या उम्मीदें हैं भाजपा समर्थकों की।
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भाजपा का मेयर पद पर कब्जा

दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) में सत्ता का संतुलन अब पूरी तरह से भाजपा के पक्ष में झुक गया है। इस बार मेयर की कुर्सी भाजपा के वरिष्ठ नेता और मौजूदा नेता विपक्ष राजा इकबाल सिंह के लिए लगभग निश्चित मानी जा रही है। 'आप' के पास पर्याप्त पार्षद नहीं होने और मेयर पद के लिए उम्मीदवार न उतारने की घोषणा के बाद भाजपा की राह पूरी तरह से साफ हो गई है।


राजा इकबाल सिंह का नाम प्रमुख दावेदार

राजा इकबाल सिंह का नाम पहले से ही एक मजबूत दावेदार के रूप में उभरा था। अब जबकि आम आदमी पार्टी ने इस पद के लिए अपने हाथ खींच लिए हैं, भाजपा के उम्मीदवारों का निर्विरोध चुना जाना केवल एक औपचारिकता रह गया है।


एमसीडी में राजनीतिक बदलाव

दिल्ली एमसीडी चुनाव 2022 में 'आप' ने 134 पार्षदों के साथ जीत हासिल की थी, जबकि भाजपा के पास 104 पार्षद थे। लेकिन समय के साथ समीकरण बदल गए हैं और अब भाजपा के पास मेयर पद जीतने के लिए आवश्यक समर्थन है, जबकि 'आप' के पास आंकड़े नहीं बचे हैं। यही कारण है कि इस बार आम आदमी पार्टी ने मेयर चुनाव में उम्मीदवार नहीं उतारा।


भाजपा ने उम्मीदवारों की घोषणा की

भाजपा ने राजा इकबाल सिंह को मेयर पद के लिए और नरेला जोन से पार्षद जय भगवान यादव को डिप्टी मेयर पद के लिए नामित किया है। दोनों नेता मंगलवार को निगम सचिवालय कार्यालय में नामांकन दाखिल करेंगे।


राजा इकबाल सिंह का राजनीतिक सफर

राजा इकबाल सिंह पहले उत्तरी दिल्ली नगर निगम के मेयर रह चुके हैं। वर्तमान में, वह एमसीडी में भाजपा के नेता विपक्ष हैं। उनकी राजनीतिक छवि साफ-सुथरी और अनुभव से भरी हुई मानी जाती है। 51 वर्षीय सिंह ने श्री गुरु तेग बहादुर खालसा कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय से बीएससी और चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ से एलएलबी की पढ़ाई की है।


विपक्ष से सत्ता की ओर

राजा इकबाल सिंह ने विपक्ष की भूमिका में रहते हुए एमसीडी में सत्तारूढ़ 'आप' पर लगातार सवाल उठाए और निगम की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता की मांग की। अब जब भाजपा को मेयर पद मिलना तय है, उनके अनुभव का पूरा लाभ राजधानी के नगरीय प्रशासन को मिल सकता है।


आप ने क्यों छोड़ा चुनावी मैदान?

'आप' के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि उनकी पार्टी इस बार मेयर पद की दौड़ में नहीं रहेगी। इसका मुख्य कारण यह है कि एमसीडी के मौजूदा समीकरणों में भाजपा का बहुमत स्पष्ट है। 'आप' इस हार से बचने की रणनीति के तहत मुकाबले से हट गई।


भाजपा का नया नेतृत्व

राजा इकबाल सिंह का मेयर बनना अब लगभग तय है। पार्टी समर्थक और नेता इस निर्णय से उत्साहित हैं। उन्हें उम्मीद है कि सिंह के नेतृत्व में एमसीडी प्रशासन को नई दिशा मिलेगी और जनता को बेहतर नगरीय सेवाएं प्राप्त होंगी।