हरियाणा में जल संकट: किसान सड़कों पर उतरने को तैयार, सैलजा ने सीएम को लिखा पत्र

हरियाणा में जल संकट: किसान और आम लोग परेशान
हरियाणा में जल संकट ने किसानों और नागरिकों के जीवन को कठिन बना दिया है: सूखी नहरों और जलघर डिग्गियों की कमी ने स्थिति को गंभीर बना दिया है।
संयुक्त जल संघर्ष समिति ने 2 मई को विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया है। कांग्रेस सांसद कुमारी सैलजा ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को पत्र लिखकर तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। आइए, इस संकट की पूरी कहानी समझते हैं।
नहरों में पानी की कमी: कपास की बिजाई पर संकट
हरियाणा के किसान इस समय कपास की बिजाई के महत्वपूर्ण चरण में हैं, लेकिन नहरों में पानी की कमी ने उनकी समस्याओं को बढ़ा दिया है। संयुक्त जल संघर्ष समिति के अध्यक्ष बिजेंद्र बेनीवाल और पगड़ी संभाल जट्टा किसान संघर्ष समिति के महासचिव संदीप सिवाच ने बताया कि पिछले एक महीने से नहरें सूखी पड़ी हैं।
हिसार जिले में लगभग 2.30 लाख हेक्टेयर में होने वाली कपास की खेती पर संकट मंडरा रहा है। किसानों का कहना है कि सरकार केवल बयानबाजी कर रही है, जबकि ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
पेयजल संकट: गांव टैंकरों पर निर्भर
कांग्रेस सांसद कुमारी सैलजा ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में पेयजल संकट की गंभीरता को उजागर किया। उन्होंने बताया कि जिले के अधिकांश जलघरों की डिग्गियां सूख चुकी हैं, और नहरों का पानी टेल तक नहीं पहुंच रहा। ग्रामीण क्षेत्रों में लोग 600 से 1200 रुपये प्रति टैंकर पानी खरीदने को मजबूर हैं।
नाथूसरी चोपटा, रानियां, ऐलनाबाद, डबवाली और चौटाला जैसे क्षेत्रों में पेयजल की भारी कमी है। कई गांवों में ट्यूबवेल का पानी खारा होने के कारण लोग जलजनित बीमारियों का शिकार हो रहे हैं।
किसानों का विरोध प्रदर्शन
पानी की इस अव्यवस्था के खिलाफ संयुक्त जल संघर्ष समिति ने सड़कों पर उतरने का निर्णय लिया है। 2 मई को सुबह 10 बजे हिसार के एचएयू गेट नंबर 4 के सामने स्मृति वन पार्क में किसान एकत्र होंगे और लघु सचिवालय तक रोष मार्च निकालेंगे।
समिति के महासचिव सतबीर पूनिया ने कहा कि भाखड़ा नहर से पानी आने के बावजूद ऐसी स्थिति पहले कभी नहीं देखी गई। समिति के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सुरेंद्र आर्य ने हरियाणा और पंजाब सरकारों से जनहित में तुरंत कदम उठाने की अपील की।
सैलजा की मांग
कुमारी सैलजा ने अपने पत्र में मुख्यमंत्री से मांग की है कि नहरों में तब तक पानी छोड़ा जाए, जब तक गांवों की जलघर डिग्गियां पूरी तरह न भर जाएं। उन्होंने किसानों के लिए सिंचाई पानी की व्यवस्था सुनिश्चित करने पर भी जोर दिया। सैलजा ने कहा कि पानी की कमी न केवल खेती को प्रभावित कर रही है, बल्कि लोगों के दैनिक जीवन को भी बाधित कर रही है।
प्रभावित क्षेत्रों की स्थिति
नाथूसरी चोपटा के गुसाई आना, कुम्हारिया, हजीरा, जसानिया, गंजा रुपाणा, कागदाना, जमाल, गिगोरानी, खेड़ी, राजपुरा साहनी, जोडकिया, रामपुर बगड़िया, कैरावाली, दड़बा कलां, मानक दिवान, रंधावा, निर्बाण, शेरांवाली, कर्मसाना, बकरियांवाली, मोडिया और माधोसिंघाना जैसे गांवों में पानी का संकट चरम पर है।
रानियां, ऐलनाबाद, डबवाली और चौटाला जैसे बड़े गांव भी इस समस्या से जूझ रहे हैं। खारे पानी के कारण लोग पीने योग्य पानी के लिए परेशान हैं।
निष्कर्ष: समाधान की जरूरत
हरियाणा में जल संकट ने किसानों और आम लोगों को सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर कर दिया है। सैलजा का पत्र और किसानों का विरोध प्रदर्शन सरकार के लिए एक चेतावनी है।
यह समय बयानबाजी का नहीं, बल्कि ठोस कार्रवाई का है। नहरों में पानी की आपूर्ति और पेयजल व्यवस्था को दुरुस्त करना अब सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए।