Newzfatafatlogo

अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में आज ट्रंप की शक्तियों पर महत्वपूर्ण सुनवाई

आज अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में डोनाल्ड ट्रंप की शक्तियों पर एक महत्वपूर्ण सुनवाई हो रही है, जो 90 साल पुराने एक फैसले को पलट सकती है। यदि कोर्ट ट्रंप को स्वतंत्र एजेंसियों के अधिकारियों को हटाने की अनुमति देता है, तो यह अमेरिकी प्रशासनिक व्यवस्था में बड़ा बदलाव ला सकता है। कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम संविधान की मूल भावना के खिलाफ है। जानें इस सुनवाई का क्या असर हो सकता है।
 | 
अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में आज ट्रंप की शक्तियों पर महत्वपूर्ण सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट का फैसला बदल सकता है 90 साल पुराना नियम


डोनाल्ड ट्रंप की शक्तियों में हो सकता है इजाफा : डोनाल्ड ट्रंप, जब से अमेरिका के राष्ट्रपति बने हैं, तब से वे अपनी शक्तियों को बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। आज अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट एक महत्वपूर्ण सुनवाई करेगा, जो 90 साल पुराने एक फैसले को बदल सकता है। यदि कोर्ट इस फैसले को पलटता है, तो ट्रंप स्वतंत्र एजेंसियों के अधिकारियों को अपनी मर्जी से हटा सकेंगे। हालांकि, इस संभावित फैसले के खिलाफ अमेरिका में विरोध की आवाजें उठने लगी हैं।


ट्रंप ने पहले ही कई अधिकारियों को हटाया

ट्रंप ने पहले ही कई एजेंसियों के अधिकारियों को बर्खास्त किया है और अदालत ने अधिकांश मामलों में उन्हें छूट दी है। यह मामला फेडरल ट्रेड कमीशन की सदस्य रेबेका स्लॉटर की बर्खास्तगी से संबंधित है। 1935 में अदालत ने कहा था कि राष्ट्रपति बिना कारण बताए एजेंसी प्रमुखों को नहीं हटा सकते। अब ट्रंप और उनके समर्थक इस फैसले को बदलने की कोशिश कर रहे हैं।


फेडरल रिजर्व की गवर्नर पर भी असर

इस मामले का प्रभाव फेडरल रिजर्व की गवर्नर लिसा कुक पर भी पड़ सकता है। अदालत ने उनकी बर्खास्तगी में सावधानी बरती है। जनवरी में अदालत इस पर सुनवाई करेगी कि क्या हटाए गए अधिकारी को पुनः नियुक्त किया जा सकता है या केवल मुआवजा मिलेगा। अदालत का निर्णय अमेरिका की प्रशासनिक व्यवस्था पर बड़ा प्रभाव डाल सकता है।


अदालत के रुख पर उठ रहे सवाल

कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि अदालत का रुख संविधान की मूल भावना के खिलाफ है। वर्जीनिया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर केलिब नेल्सन ने कहा है कि राष्ट्रपति को इतनी व्यापक शक्ति देने का कोई आधार नहीं है। कई इतिहासकारों ने अदालत को दस्तावेज भेजकर बताया है कि प्रारंभिक दौर में यह शक्ति सीमित थी। हालांकि, विशेषज्ञों को उम्मीद नहीं है कि अदालत अपना रुख बदलेगी।