आम आदमी पार्टी का ‘इंडिया’ गठबंधन से बाहर निकलना: राजनीतिक समीकरणों में बदलाव
राजनीतिक हलचल: आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच आरोप-प्रत्यारोप
2024 के लोकसभा चुनावों के बाद, राजनीतिक परिदृश्य में आए बदलावों ने विपक्षी दलों में हलचल पैदा कर दी है। आम आदमी पार्टी ने ‘इंडिया’ गठबंधन से अलग होने की घोषणा की, जिसके बाद कांग्रेस और ‘आप’ के बीच आरोपों का दौर तेज हो गया है। कांग्रेस नेता उदित राज ने अरविंद केजरीवाल पर तीखा हमला करते हुए कहा कि ‘आप’ की जड़ें बीजेपी और आरएसएस से जुड़ी हैं।उदित राज ने आरोप लगाया कि आम आदमी पार्टी का गठन बीजेपी और आरएसएस के अप्रत्यक्ष समर्थन से हुआ था। उन्होंने कहा कि 2011 के जनलोकपाल आंदोलन के दौरान, दक्षिणपंथी ताकतों ने केजरीवाल को मंच और समर्थन प्रदान किया, जिससे ‘आप’ को राजनीतिक पहचान मिली। उन्होंने यह भी कहा कि अन्ना हजारे का आंदोलन बीजेपी विचारधारा से प्रभावित था।
उदित राज ने यह स्पष्ट किया कि कांग्रेस और ‘आप’ के बीच वैचारिक दूरी हमेशा से रही है, लेकिन लोकतंत्र की रक्षा के लिए साथ आना एक रणनीतिक निर्णय था। उन्होंने कहा कि यदि केजरीवाल की पार्टी अब गठबंधन से बाहर जाती है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि ‘इंडिया’ गठबंधन कमजोर हो गया है।
इस बीच, आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कांग्रेस पर सवाल उठाते हुए कहा कि ‘आप’ अब ‘इंडिया’ गठबंधन का हिस्सा नहीं है। उन्होंने कांग्रेस की निष्क्रियता और नेतृत्व में स्पष्टता की कमी को इसका मुख्य कारण बताया।
संजय सिंह ने कहा कि आम आदमी पार्टी भविष्य में अपनी राजनीतिक लड़ाई खुद लड़ेगी और संसद में विपक्ष की भूमिका को मजबूती से निभाएगी। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ‘आप’ का गठबंधन से बाहर निकलना विपक्षी एकता के लिए चुनौती है, लेकिन भविष्य की रणनीति इस पर निर्भर करेगी कि अन्य दल किस तरह से एकजुट होते हैं।