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उत्तर प्रदेश में आवारा कुत्तों के लिए आजीवन आश्रय का नया नियम

उत्तर प्रदेश सरकार ने आवारा कुत्तों के लिए एक नया नियम लागू किया है, जिसके तहत बार-बार काटने वाले कुत्तों को आजीवन आश्रय में रखा जाएगा। यह निर्णय सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों और कुत्तों के हमलों की बढ़ती घटनाओं के मद्देनजर लिया गया है। जानें इस नीति के पीछे के कारण, नसबंदी और माइक्रोचिपिंग की प्रक्रिया, और गोद लेने की शर्तें।
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उत्तर प्रदेश में आवारा कुत्तों के लिए आजीवन आश्रय का नया नियम

उत्तर प्रदेश सरकार का नया आदेश

UP News: उत्तर प्रदेश सरकार ने आवारा कुत्तों को बार-बार काटने पर आजीवन आश्रय गृह में रखने का निर्णय लिया है। यह आदेश 10 सितंबर को जारी किया गया, जिसके अनुसार ऐसे कुत्तों को पहले 10 दिनों के लिए आश्रय में रखा जाएगा। यदि वे फिर से काटते हैं, तो उन्हें जीवनभर आश्रय में रहना होगा। यह कदम सुप्रीम कोर्ट के हालिया निर्देश और कुत्तों के हमलों की बढ़ती घटनाओं के मद्देनजर उठाया गया है।


कुत्तों के हमलों पर सख्त कार्रवाई

उत्तर प्रदेश, जो पहले अपराधियों के लिए जाना जाता था, अब आवारा कुत्तों के खिलाफ सख्त कदम उठा रहा है। योगी आदित्यनाथ सरकार ने 10 सितंबर को एक नया नियम लागू किया, जिसमें बार-बार काटने वाले कुत्तों को आजीवन आश्रय गृह में रखने का प्रावधान है। यह निर्णय सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों और कुत्तों के हमलों की बढ़ती घटनाओं के संदर्भ में लिया गया है, जिसने समाज को दो धड़ों में बांट दिया है।


कुत्तों के हमलों का समाधान

प्रयागराज नगर निगम के पशु चिकित्सा अधिकारी विजय अमृतराज ने बताया कि नया आदेश कुत्तों के हमलों की समस्या से निपटने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण अपनाता है। यदि कोई कुत्ता बिना उकसावे के इंसान को काटता है, तो उसे 10 दिनों के लिए आश्रय गृह में रखा जाएगा। यदि वह नसबंदी के बाद भी दोबारा काटता है, तो उसे जीवनभर आश्रय में रहना होगा।


नसबंदी और माइक्रोचिपिंग की प्रक्रिया

आदेश के अनुसार, पहले हमले के बाद कुत्तों की नसबंदी की जाएगी और माइक्रोचिप लगाकर उन्हें उनके मूल स्थान पर छोड़ा जाएगा। लेकिन यदि वे दोबारा काटते हैं, तो उन्हें स्थायी रूप से आश्रय में रखा जाएगा। दिल्ली सरकार भी अगले दो वर्षों में 10 लाख कुत्तों में माइक्रोचिप लगाने की योजना बना रही है, जिससे उत्तर प्रदेश का यह कदम और मजबूत हो रहा है।


आजीवन गोद लेने की शर्तें

विजय अमृतराज ने बताया कि कोई भी व्यक्ति ऐसे कुत्तों को गोद ले सकता है, बशर्ते वह आजीवन देखभाल का वचन दे। गोद लेने वालों को एक हलफनामा देना होगा, जिसमें कुत्ते को छोड़ने की मनाही होगी। यह नियम सुनिश्चित करता है कि गोद लिए गए कुत्ते फिर से सड़कों पर न लौटें।


सुरक्षा और कल्याण का संतुलन

यह नीति पशु जन्म नियंत्रण (कुत्ते) नियम, 2023 के अनुरूप है, जो मानवीय प्रबंधन पर जोर देती है। सुप्रीम कोर्ट के 11 अगस्त के आदेश ने दिल्ली-एनसीआर में कुत्तों को आश्रय में रखने का निर्देश दिया था, जिसका विरोध पशु प्रेमियों ने किया। हालांकि, 22 अगस्त को कोर्ट ने गैर-आक्रामक कुत्तों को नसबंदी और टीकाकरण के बाद छोड़ने की बात कही। उत्तर प्रदेश का यह कदम मानव सुरक्षा और पशु कल्याण के बीच संतुलन स्थापित करता है।