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कर्नाटक में राजनीतिक हलचल: डीके शिवकुमार की मुख्यमंत्री बनने की कोशिशें

कर्नाटक में कांग्रेस पार्टी के उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने मुख्यमंत्री बनने के लिए पार्टी नेतृत्व पर दबाव बढ़ा दिया है। उन्होंने 21 और 26 नवंबर की संभावित शपथ की तारीखें तय की हैं, जो उनके ज्योतिषी की सलाह पर आधारित हैं। इस खबर ने राजनीतिक हलचल मचा दी है, और मुख्यमंत्री सिद्धारमैया इस स्थिति से चिंतित हैं। जानें इस राजनीतिक घटनाक्रम के पीछे की पूरी कहानी और क्या शिवकुमार भाजपा के साथ जा सकते हैं?
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कर्नाटक में राजनीतिक हलचल: डीके शिवकुमार की मुख्यमंत्री बनने की कोशिशें

कर्नाटक कांग्रेस में नई चर्चाएँ

कर्नाटक में कांग्रेस पार्टी के विवाद सुलझने के संकेत मिलते ही एक नई चर्चा ने जोर पकड़ लिया है। उप मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने मुख्यमंत्री पद के लिए पार्टी नेतृत्व पर दबाव डालना शुरू कर दिया है। खबरों के अनुसार, उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के लिए 21 और 26 नवंबर की दो संभावित तारीखें तय की हैं, जो उनके निजी ज्योतिषी की सलाह पर आधारित हैं। यह जानकारी एक कन्नड़ समाचार पत्र में प्रकाशित हुई है, जिसमें कहा गया है कि सिद्धारमैया सरकार के ढाई साल पूरे होने पर सत्ता परिवर्तन की संभावना है। इस खबर ने राजनीतिक हलचल मचा दी है, और मुख्यमंत्री सिद्धारमैया इस स्थिति से चिंतित हैं। हालांकि, शिवकुमार ने इस संबंध में कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है।


सिद्धारमैया की प्रतिक्रिया

एक रिपोर्ट के अनुसार, जब कर्नाटक के पत्रकारों ने इस विषय पर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को जानकारी दी, तो वे हैरान रह गए। उन्होंने पत्रकारों से पूछा कि उन्हें यह जानकारी कैसे मिली। पत्रकारों ने बताया कि यह खबर एक कन्नड़ अखबार में छपी है। सिद्धारमैया ने कहा कि वे सभी कन्नड़ समाचार पत्र पढ़ते हैं, लेकिन उन्हें यह खबर कहीं नहीं मिली। जब पत्रकारों ने उन्हें उस विशेष अखबार का नाम बताया, तो सिद्धारमैया चुप हो गए और बिना कुछ कहे वहां से चले गए। यह ध्यान देने योग्य है कि मैसुरू सिद्धारमैया का गृह क्षेत्र है।


शिवकुमार की राजनीतिक स्थिति

सूत्रों के अनुसार, शिवकुमार के ज्योतिषी ने उन्हें बताया है कि यदि वे अभी मुख्यमंत्री नहीं बनते हैं, तो भविष्य में ऐसा अवसर नहीं मिलेगा। इस बात ने शिवकुमार को चिंतित कर दिया है। कुछ समय पहले उन्होंने कहा था कि उनका समय अभी नहीं आया है और वे 2028 में कांग्रेस की सरकार बनवाने का इरादा रखते हैं। लेकिन अब परिस्थितियाँ बदल रही हैं। सिद्धारमैया, उनके बेटे यतींद्र, कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और उनके बेटे प्रियांक खड़गे के बीच की राजनीति ने शिवकुमार और उनके समर्थकों को चिंतित कर दिया है।


राजनीतिक समीकरण

डीके शिवकुमार और उनके समर्थकों को लगता है कि उन्हें इस राजनीति के माध्यम से किनारे करने का प्रयास किया जा रहा है। शिवकुमार की राजनीति वोक्कालिगा वोट पर आधारित है, जबकि सिद्धारमैया और उनकी टीम हिंदुत्व को पूरी तरह से खारिज करती है। इस स्थिति ने शिवकुमार को असहज कर दिया है। सवाल यह उठता है कि क्या वे भाजपा के साथ जा सकते हैं? भाजपा ने पिछली बार जनता दल के बसवराज बोम्मई को मुख्यमंत्री बनाया था, लेकिन वोक्कालिगा और लिंगायत के बीच स्पष्ट विभाजन के कारण वहां भी समस्याएँ आ सकती हैं। इसलिए, शिवकुमार कांग्रेस में रहकर मुख्यमंत्री बनने का दबाव बनाए हुए हैं।