केंद्र सरकार का विवादास्पद बिल: हिंदी शब्द का प्रयोग और राजनीतिक प्रतिक्रिया
बिल का नाम और विवाद
भारतीय जनता पार्टी की केंद्र सरकार पर जानबूझकर विवाद उत्पन्न करने का आरोप लगाया जा रहा है, जिसमें डीएमके और तृणमूल कांग्रेस के नेता भी शामिल हैं। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में एक नया बिल पेश किया है, जिसका नाम है 'हेल्थ सिक्योरिटी से नेशनल सिक्योरिटी सेस बिल'। इस नाम में एक हिंदी शब्द जोड़ने की आवश्यकता क्या थी, यह सोचने का विषय है। इस नाम में 'से' जोड़कर इसे हाइब्रिड बना दिया गया है, जिसमें छह शब्द अंग्रेजी के और एक हिंदी का है। पहले भी कई विधेयकों के नाम हिंदी में रखे गए थे, जिन पर आपत्ति उठाई गई थी, लेकिन यह मामला कुछ अलग है। यहां एक हिंदी शब्द जोड़ने से बिल का नाम न तो आकर्षक बना है और न ही काव्यात्मक। इसके विपरीत, यह भाषा और सौंदर्य के दृष्टिकोण से कमजोर प्रतीत होता है।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
केंद्र सरकार ने इस बिल का नाम हाइब्रिड रखकर डीएमके और तृणमूल कांग्रेस के नेताओं को विरोध का अवसर दिया। डीएमके नेता टीआर बालू ने इसका कड़ा विरोध किया, यह कहते हुए कि केंद्र सरकार हिंदी को थोपने का प्रयास कर रही है। वहीं, तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि वित्त मंत्री ने हिंदी में बोलने के कारण समझने में कठिनाई का सामना करना पड़ा। हालांकि, उनकी सीट पर हिंदी से बांग्ला अनुवाद की सुविधा उपलब्ध थी, फिर भी उन्होंने विरोध जताया। निर्मला सीतारमण ने हिंदी में बिल पेश करके इन नेताओं को एक और मौका दिया। ध्यान देने वाली बात यह है कि तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, और इन नेताओं ने हिंदी के विरोध के माध्यम से अपनी भाषाई पहचान का कार्ड खेला है। इन दोनों राज्यों के चुनाव में भाषा और पहचान का मुद्दा महत्वपूर्ण रहेगा।
