केंद्र सरकार के वेतन आयोग पर AIDEF की आपत्ति
नई दिल्ली में वेतन आयोग का विवाद
नई दिल्ली: हाल ही में, केंद्र सरकार ने 8वें केंद्रीय वेतन आयोग के लिए 'टर्म्स ऑफ रेफरेंस' (ToR) जारी किए हैं, जिसके बाद ऑल इंडिया डिफेंस एम्प्लॉयीज फेडरेशन (AIDEF) ने अपनी गंभीर आपत्ति दर्ज कराई है.
AIDEF की चिंताएं
फेडरेशन का कहना है कि इस दस्तावेज में लगभग 69 लाख केंद्रीय पेंशनभोगियों और पारिवारिक पेंशनभोगियों का उल्लेख नहीं किया गया है। संगठन ने इसे 'अन्यायपूर्ण और भेदभावपूर्ण' कदम बताते हुए वित्त मंत्रालय को पत्र लिखा है.
ToR पर AIDEF का विरोध
AIDEF ने सरकार द्वारा जारी किए गए ToR पर कड़ा विरोध जताते हुए कहा कि लाखों पेंशनभोगियों को आयोग के दायरे से बाहर रखा गया है। फेडरेशन ने यह भी कहा कि जिन्होंने देश की सेवा में अपने जीवन के तीन दशक से अधिक समय दिए, उन्हें इस तरह अलग नहीं किया जा सकता। संगठन का कहना है कि पेंशनभोगियों को आयोग की सिफारिशों से वंचित करना उनके संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है और सरकार को इसे तुरंत सुधारना चाहिए.
ToR में पेंशनर्स का उल्लेख क्यों नहीं
सरकार ने 3 नवंबर 2025 को 8वें वेतन आयोग का ToR जारी किया, लेकिन इसमें 'पेंशनर्स' या 'फैमिली पेंशनर्स' शब्दों का स्पष्ट उल्लेख नहीं किया गया। हालांकि, इसमें यह कहा गया है कि आयोग कर्मचारियों के वेतन, भत्तों और अन्य सुविधाओं की समीक्षा करेगा, जिसमें पेंशन और ग्रेच्युटी जैसी सेवानिवृत्ति सुविधाएं भी शामिल हैं. इससे यह संकेत मिलता है कि पेंशनभोगी तकनीकी रूप से ToR के दायरे में आते हैं.
तकनीकी व्याख्या और भ्रम
हालांकि तकनीकी रूप से पेंशनर्स को ToR से बाहर नहीं किया गया है, लेकिन उनके स्पष्ट उल्लेख की अनुपस्थिति ने कर्मचारियों और सेवानिवृत्त संगठनों में भ्रम पैदा कर दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को दस्तावेज में यह स्पष्ट करना चाहिए था कि पेंशनर्स भी समीक्षा के दायरे में शामिल हैं, ताकि किसी तरह की गलतफहमी न हो.
8वें वेतन आयोग में शामिल कर्मचारी
जारी ToR के अनुसार, 8वां वेतन आयोग केंद्र सरकार के औद्योगिक और गैर-औद्योगिक कर्मचारियों, अखिल भारतीय सेवाओं के सदस्यों, रक्षा बलों के जवानों, केंद्र शासित प्रदेशों के कर्मचारियों, भारतीय लेखा परीक्षा विभाग, संसद द्वारा बनाए गए वैधानिक निकायों (RBI को छोड़कर) और सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के कर्मचारियों के वेतन ढांचे की समीक्षा करेगा.
पेंशन और सेवानिवृत्ति लाभ
आयोग को पेंशन और ग्रेच्युटी की पूरी रूपरेखा की समीक्षा का कार्य सौंपा गया है। इसमें दो श्रेणियों के कर्मचारी शामिल हैं- पहला, राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) या यूनिफाइड पेंशन स्कीम के तहत आने वाले कर्मचारी, और दूसरा, वे कर्मचारी जो पुराने गैर-अंशदायी पेंशन ढांचे में आते हैं. आयोग को दोनों के लिए संतुलित सिफारिशें देनी होंगी, ताकि वित्तीय बोझ के साथ-साथ पेंशनर्स के हितों की भी रक्षा हो सके.
रिपोर्ट की समयसीमा
सरकार ने आयोग को अपनी अंतिम सिफारिशें देने के लिए 18 महीने का समय दिया है। यानी करीब डेढ़ वर्ष में आयोग अपनी रिपोर्ट सौंपेगा। इसके आधार पर केंद्र सरकार भविष्य में वेतन, पेंशन और कर्मचारियों से जुड़े लाभों पर निर्णय लेगी। AIDEF का कहना है कि यदि सरकार पारदर्शिता बरतती है, तो यह आयोग करोड़ों कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए राहत का माध्यम बन सकता है.
