केजरीवाल का बंगला विवाद: क्या उन्होंने कुछ सीखा?
बंगले के विवाद में केजरीवाल की नई मुश्किलें
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल एक बार फिर बंगले के विवाद में उलझ गए हैं। इस बार मामला चंडीगढ़ में एक कथित बंगले का है। उनकी सस्ती नीली कमीज और वैगन आर गाड़ी से जो छवि बनी थी, वह पिछले चुनाव में पूरी तरह से ध्वस्त हो गई। यह गिरावट 2015 में मिली भारी जीत के बाद से शुरू हुई थी, लेकिन पांच साल तक यह छिपी रही। 2020 में, दिल्ली के लोगों ने मुफ्त सेवाओं के नाम पर उन्हें वोट दिया, लेकिन पिछले पांच वर्षों में केजरीवाल का असली चेहरा सामने आया, जब उन्होंने अपने लिए 50 करोड़ रुपये से अधिक खर्च करके एक नया बंगला बनवाया। इस बंगले ने उनकी छवि को पूरी तरह से धूमिल कर दिया। अब सवाल यह है कि क्या उन्होंने इससे कोई सीख ली है? ऐसा प्रतीत नहीं होता। उल्टे, बंगले की चाहत ने उन्हें इस कदर परेशान कर दिया है कि जैसे उनकी जान निकल रही हो।
वर्तमान में, केजरीवाल फिरोजशाह रोड पर अपने पार्टी सांसद और व्यवसायी अशोक मित्तल के बंगले में निवास कर रहे हैं। उनकी पार्टी ने सरकार से सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़ी और उनके लिए एक बंगला आवंटित कराया है। केजरीवाल ने अपनी पूरी ताकत लगाकर राष्ट्रीय पार्टी के प्रमुख के रूप में लोधी इस्टेट में 95 नंबर का बंगला हासिल किया। हालांकि, उन्हें इस बात की आपत्ति है कि उन्हें टाइप आठ का बंगला क्यों नहीं मिला, जबकि जो बंगला उन्हें मिला है वह टाइप सात का है। इस बंगले में रेनोवेशन के बाद वे रहने की योजना बना रहे हैं। इसी बीच, एक और बंगले का विवाद उठ खड़ा हुआ है। भाजपा ने आरोप लगाया है कि पंजाब सरकार ने चंडीगढ़ में दो एकड़ का एक बंगला मुख्यमंत्री भगवंत मान के कैम्प ऑफिस के लिए आवंटित किया है, जिसमें केजरीवाल निवास करते हैं। यह नया बंगला नहीं है, लेकिन इससे यह स्पष्ट होता है कि केजरीवाल का बंगला मोह दिल्ली से लेकर चंडीगढ़ तक खत्म नहीं हो रहा, चाहे इससे उन्हें कितना भी नुकसान क्यों न हो!
