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डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट के तहत आरटीआई कानून में संशोधन लागू

केंद्र सरकार ने डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट के तहत आरटीआई कानून में महत्वपूर्ण संशोधन को लागू कर दिया है। इस संशोधन के तहत पर्सनल डेटा की नई परिभाषा का पालन करना अनिवार्य होगा, जिससे कई सूचनाओं के खुलासे पर प्रभाव पड़ेगा। आलोचकों का कहना है कि यह कदम आरटीआई की शक्ति को कमजोर कर सकता है। हालांकि, सरकार का दावा है कि यह नागरिकों की गोपनीयता को सशक्त बनाने के लिए है। जानें इस बदलाव के संभावित प्रभाव और आलोचनाओं के बारे में।
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डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट के तहत आरटीआई कानून में संशोधन लागू

आरटीआई कानून में महत्वपूर्ण बदलाव


केंद्र सरकार ने डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट के अंतर्गत आरटीआई कानून में किए गए महत्वपूर्ण संशोधन को आधिकारिक रूप से लागू कर दिया है। 14 नवंबर को जारी अधिसूचना के अनुसार, अब आरटीआई के तहत किसी भी जानकारी के खुलासे में 'पर्सनल डेटा' की नई परिभाषा का पालन करना अनिवार्य होगा। इसके साथ ही, इस कानून को तीन चरणों में लागू करने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है, जिससे देश में पारदर्शिता और गोपनीयता के बीच बहस फिर से तेज हो गई है.


संशोधन का विवरण

मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार, डीपीडीपी एक्ट की धारा 44(3) अब प्रभावी हो गई है, जिसके तहत आरटीआई एक्ट में पर्सनल डेटा की वही परिभाषा मान्य होगी जो डीपीडीपी कानून में दी गई है। इसका अर्थ है कि व्यक्तिगत जानकारी केवल तभी सार्वजनिक की जाएगी जब बड़ा सार्वजनिक हित साबित हो। इससे आरटीआई के दायरे में आने वाली कई सूचनाओं पर नए सिरे से विचार करने की आवश्यकता होगी.


आलोचना का कारण

मीडिया संगठनों, नागरिक समाज और पारदर्शिता कार्यकर्ताओं ने इस संशोधन को आरटीआई की प्रभावशीलता को कम करने वाला कदम बताया है। उनका कहना है कि पर्सनल डेटा की विस्तृत परिभाषा कई महत्वपूर्ण सूचनाओं को सार्वजनिक दायरे से बाहर कर सकती है, जिससे जवाबदेही की व्यवस्था कमजोर होने का खतरा उत्पन्न हो सकता है.


सरकार का दृष्टिकोण

आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने स्पष्ट किया है कि यह संशोधन सूचना को छिपाने के लिए नहीं, बल्कि नागरिकों की गोपनीयता को सशक्त बनाने के लिए है। उन्होंने कहा कि मनरेगा जैसी योजनाओं, जनप्रतिनिधियों से जुड़े अनिवार्य खुलासे और कानूनी रूप से आवश्यक व्यक्तिगत सूचनाएं पहले की तरह सार्वजनिक रहेंगी। सरकार का कहना है कि नया प्रावधान पारदर्शिता को बाधित नहीं करता.


DPDP एक्ट का चरणबद्ध कार्यान्वयन

मंत्रालय ने कानून को लागू करने के लिए तीन-स्तरीय टाइमलाइन जारी की है। पहले चरण में डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड का गठन, दंड प्रावधान और अपील प्रक्रिया की रूपरेखा लागू की जाएगी। दूसरे चरण में सहमति नियम, डेटा फिड्यूशियरी की जिम्मेदारियां और डेटा प्रिंसिपल के अधिकार लागू होंगे। तीसरा चरण आगे चलकर पूरी योजना को पूर्ण रूप से लागू करेगा.


आरटीआई प्रक्रियाओं पर प्रभाव

नए संशोधन के बाद, आरटीआई अधिकारियों को हर आवेदन पर पहले यह निर्धारित करना होगा कि सूचना पर्सनल डेटा के दायरे में आती है या नहीं। बड़े सार्वजनिक हित की कसौटी अब पहले से अधिक कठोर मानी जाएगी। इससे आरटीआई प्रक्रिया में अधिक सावधानी और कानूनी विवेचना की आवश्यकता बढ़ सकती है, हालांकि अंतिम प्रभाव आने वाले महीनों में स्पष्ट होगा.