पश्चिम बंगाल में चुनाव आयोग की मतदाता सूची पुनरीक्षण प्रक्रिया पर विवाद
मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण की शुरुआत
कोलकाता। चुनाव आयोग ने 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की प्रक्रिया आरंभ कर दी है। इस प्रक्रिया के तहत बूथ लेवल अधिकारियों का प्रशिक्षण चल रहा है, लेकिन पश्चिम बंगाल में इसको लेकर विवाद उत्पन्न हो गया है। बूथ लेवल अधिकारियों (बीएलओ) का कहना है कि उन्हें आयोग की ओर से वैध दस्तावेज प्रदान किए जाने चाहिए ताकि उनकी ड्यूटी को मान्यता मिल सके। इसके साथ ही, उन्होंने अपनी सुरक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने की भी मांग की है।
प्रशिक्षण के दौरान कई बीएलओ ने प्रशासनिक और सुरक्षा व्यवस्थाओं पर असंतोष व्यक्त किया। उन्होंने उचित दस्तावेज और सुरक्षा की मांग की है। बीएलओ का कहना है कि प्रशिक्षण के दौरान उनके स्कूलों में उपस्थिति दर्ज नहीं की जा रही है, जिससे उनकी ड्यूटी को ऑन ड्यूटी नहीं माना जा रहा है। उन्होंने आयोग से अनुरोध किया है कि उनकी ट्रेनिंग और फील्ड वर्क को ड्यूटी के रूप में मान्यता दी जाए और इसके लिए आवश्यक कागजात जारी किए जाएं।
कई बीएलओ ने आरोप लगाया है कि चुनाव आयोग ने उन्हें ट्रेनिंग का कोई वैध प्रमाणपत्र या दस्तावेज नहीं दिया है, जिससे वे अपने विभाग में उपस्थिति सिद्ध कर सकें। दुर्गापुर के उप मंडलीय कार्यालय में बीएलओ ने सामूहिक रूप से अपनी असहमति जताई। उल्लेखनीय है कि राज्य में चार नवंबर से एसआईआर का पहला चरण शुरू होने वाला है, जो चार दिसंबर तक चलेगा। इसके लिए तीन नवंबर तक प्रशिक्षण का कार्य पूरा किया जाना है।
चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि ट्रेनिंग के दौरान केंद्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती नहीं की जाएगी और सुरक्षा की जिम्मेदारी राज्य प्रशासन की होगी। आयोग ने बड़े बूथों के लिए दो बीएलओ नियुक्त करने के प्रस्ताव को भी अस्वीकार कर दिया है।
