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पाकिस्तान ने TRF को आतंकवादी संगठन घोषित करने पर उठाए सवाल

पाकिस्तान ने अमेरिका द्वारा द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) को विदेशी आतंकवादी संगठन घोषित करने के फैसले पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि पहलगाम आतंकी हमले की जांच अभी भी चल रही है। इस हमले में 26 नागरिकों की जान गई थी और यह लश्कर-ए-तैयबा का सबसे घातक हमला माना जाता है। पाकिस्तान ने अपनी आतंकवाद के प्रति शून्य सहनशीलता नीति का भी उल्लेख किया और कहा कि उसने आतंकवादी नेटवर्क को ध्वस्त कर दिया है।
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पाकिस्तान ने TRF को आतंकवादी संगठन घोषित करने पर उठाए सवाल

पाकिस्तान का बयान

अमेरिका द्वारा द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) को विदेशी आतंकवादी संगठन के रूप में नामित करने के एक दिन बाद, पाकिस्तान ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा कि पहलगाम आतंकी हमले की जांच अभी भी पूरी नहीं हुई है। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने यह घोषणा की थी कि लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का सहयोगी संगठन TRF को एक विदेशी आतंकवादी संगठन और विशेष रूप से नामित वैश्विक आतंकवादी के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा।


आर्थिक प्रतिबंधों का प्रभाव

इस निर्णय के परिणामस्वरूप, TRF पर वित्तीय प्रतिबंध लगाए जाएंगे, जिससे अमेरिकी क्षेत्राधिकार के तहत व्यक्तियों और संस्थाओं से सहायता प्राप्त करने की उनकी क्षमता सीमित हो जाएगी। यह घटनाक्रम TRF द्वारा 22 अप्रैल को पहलगाम में किए गए हमले की जिम्मेदारी लेने के लगभग तीन महीने बाद आया है, जिसमें 26 नागरिकों की जान गई थी। यह हमला 2008 के मुंबई हमलों के बाद से भारत में लश्कर द्वारा किया गया सबसे घातक हमला माना जाता है।


पाकिस्तान की प्रतिक्रिया

पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को एक बयान जारी करते हुए कहा कि उसकी आतंकवाद के प्रति नीति शून्य सहनशीलता की है और वह इस मुद्दे पर अग्रिम मोर्चे पर है। उन्होंने यह भी कहा कि आतंकवादी नेटवर्क को ध्वस्त कर दिया गया है और पहलगाम हमले को लश्कर-ए-तैयबा से जोड़ने का प्रयास वास्तविकता के विपरीत है।


अमेरिका का कदम

अमेरिका ने लश्कर-ए-तैयबा के मुखौटा संगठन TRF को वैश्विक आतंकवादी संगठन घोषित किया है, जिसने जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए हमले की जिम्मेदारी ली थी। इस पर पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने कहा कि उसने संबंधित संगठनों के नेटवर्क को प्रभावी ढंग से ध्वस्त कर दिया है और उनके सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया है। उन्होंने यह भी कहा कि पहलगाम हमले की जांच अभी भी अनिर्णायक है और लश्कर-ए-तैयबा के साथ इसका कोई संबंध जमीनी हकीकत से उलट है।