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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जीवन में वकील साहेब का अद्वितीय योगदान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा एक प्रेरणादायक कहानी है, जिसमें वकील साहेब लक्ष्मणराव इनामदार का महत्वपूर्ण योगदान है। मोदी की पहली मुलाकात से लेकर आपातकाल के दौरान संघर्ष तक, वकील साहेब ने मोदी को अनुशासन और संगठनात्मक कौशल सिखाया। उनके निधन के बाद भी, वकील साहेब के सिद्धांत मोदी के जीवन में गहराई से जुड़े हुए हैं। जानें कैसे वकील साहेब ने मोदी को एक सशक्त नेता बनने में मदद की और उनके आदर्श आज भी मोदी की कार्यशैली में कैसे झलकते हैं।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जीवन में वकील साहेब का अद्वितीय योगदान

मोदी की प्रेरणादायक यात्रा और वकील साहेब

Narendra Modi and Laxmanrao Inamdar: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राजनीतिक यात्रा को एक संघर्ष और प्रेरणा की कहानी के रूप में देखा जाता है, जिसमें एक चाय बेचने वाले लड़के से लेकर देश के शीर्ष पद तक पहुंचने का सफर शामिल है। इस यात्रा में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति थे लक्ष्मणराव इनामदार, जिन्हें संघ परिवार में वकील साहेब के नाम से जाना जाता है, जिन्होंने मोदी की सोच और नेतृत्व पर गहरा प्रभाव डाला।


पहली मुलाकात का प्रभाव

वकील साहेब से पहली मुलाकात
1960 के दशक की शुरुआत में किशोर नरेंद्र मोदी ने वडनगर में पहली बार वकील साहेब से मुलाकात की। इस दौरान मोदी ने वकील साहेब का प्रेरणादायक भाषण सुना, जिसने उनके जीवन की दिशा बदल दी। मोदी ने कहा कि यह वह क्षण था जिसने उनके भीतर गहरी सोच और विचारधारा को जन्म दिया। वकील साहेब के विचारों ने मोदी को यह विश्वास दिलाया कि समाज की सेवा और राष्ट्र की समृद्धि के लिए संगठन का महत्व कितना है।


वकील साहेब का योगदान

मोदी के जीवन में वकील साहेब का योगदान
अहमदाबाद में हेडगेवार भवन में वकील साहेब के साथ रहने के दौरान मोदी ने अनुशासन का महत्व सीखा। वकील साहेब ने मोदी को न केवल संगठनात्मक कार्यों में, बल्कि व्यक्तिगत जीवन में भी अनुशासन की अहमियत समझाई। मोदी ने चाय बनाने से लेकर साफ-सफाई और कपड़े धोने जैसे छोटे कार्यों में अपने कर्तव्यों को समझा। वकील साहेब ने मोदी को पढ़ाई जारी रखने के लिए भी प्रेरित किया, जिसके परिणामस्वरूप मोदी ने राजनीति विज्ञान में बीए और एमए की डिग्री हासिल की।


आपातकाल के दौरान संघर्ष

आपातकाल और भूमिगत संघर्ष
1975 में भारत में आपातकाल के दौरान, मोदी और वकील साहेब दोनों भूमिगत हो गए। इस समय संघ पर प्रतिबंध था, लेकिन वकील साहेब और मोदी ने मिलकर संगठन को जीवित रखा। वकील साहेब के मार्गदर्शन में मोदी ने साहस और धैर्य के साथ संघर्ष का सामना किया, जिससे वे संघ के सबसे भरोसेमंद प्रचारक बन गए। इस दौरान मोदी ने वकील साहेब से बहुत कुछ सीखा, विशेषकर संकट के समय संगठन को बनाए रखने का महत्व।


वकील साहेब का निधन और उसका प्रभाव

वकील साहेब का निधन और मोदी पर प्रभाव
1980 के दशक की शुरुआत में कैंसर से जूझते हुए भी वकील साहेब ने संघ कार्य से खुद को दूर नहीं किया। उनका जीवन उनके कार्यों और सिद्धांतों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता था। 1984 में वकील साहेब के निधन ने मोदी के जीवन में एक गहरा शून्य छोड़ दिया। मोदी ने कहा, “वह एकमात्र व्यक्ति थे जिनसे मैं हर समस्या साझा कर सकता था।” उनके निधन के बाद मोदी ने खुद को एक सशक्त संगठनकर्ता के रूप में स्थापित किया और वकील साहेब के सिद्धांतों को अपने जीवन में लागू किया।


वकील साहेब की धरोहर

वकील साहेब की धरोहर
आज भी नरेंद्र मोदी वकील साहेब की डायरियों को अपनी सबसे कीमती धरोहर मानते हैं। वकील साहेब की संगठन क्षमता, संवाद कौशल और अनुशासन की परंपरा आज भी मोदी की कार्यशैली में झलकती है। नरेंद्र मोदी ने संघ के सिद्धांतों को अपने राजनीतिक जीवन में उतारा है और आज प्रधानमंत्री बनने के बाद भी वकील साहेब के आदर्शों को याद करते हैं।


वकील साहेब का मार्गदर्शन

इस प्रकार, वकील साहेब ने नरेंद्र मोदी के जीवन में एक अभिभावक और मार्गदर्शक की भूमिका निभाई। उनकी संगठनात्मक कौशल और नेतृत्व शैली ने मोदी को एक सशक्त नेता बनने में मदद की। वकील साहेब का प्रभाव आज भी नरेंद्र मोदी की कार्यशैली में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है, और वे उनके मार्गदर्शन को हमेशा अपनी सबसे बड़ी धरोहर मानते हैं।