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प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी को चुनाव में मिली निराशा

प्रशांत किशोर, जो चुनावी रणनीतियों के मास्टर माने जाते हैं, ने बिहार में अपनी नई पार्टी जन सुराज के साथ चुनावी मुकाबले में निराशाजनक परिणाम का सामना किया। उन्होंने कई नेताओं को सत्ता में पहुंचाने में मदद की, लेकिन इस बार उनकी पार्टी ने एक भी सीट नहीं जीती। किशोर के बड़े दावों के बावजूद, चुनाव में उनकी पार्टी का प्रदर्शन बेहद कमजोर रहा। जानें उनके राजनीतिक सफर और भविष्य की योजनाओं के बारे में।
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प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी को चुनाव में मिली निराशा

चुनावी रणनीति में असफलता

पटना: चुनावी रणनीतियों के विशेषज्ञ माने जाने वाले प्रशांत किशोर ने अपने पहले बड़े चुनावी मुकाबले में निराशाजनक परिणाम का सामना किया। उन्होंने कई नेताओं को सत्ता में पहुंचाने में मदद की, लेकिन बिहार में अपनी नई राजनीतिक पार्टी जन सुराज पार्टी के तहत एक भी सीट नहीं जीत सके। पार्टी का प्रदर्शन इतना खराब रहा कि कई उम्मीदवारों की जमानत भी जब्त होने की स्थिति में आ गई।


बड़े दावे और वास्तविकता

चुनाव से पहले किशोर ने बड़े दावे किए थे, यह कहते हुए कि उनकी पार्टी या तो 10 से कम सीटें जीतेगी या 150 से अधिक। लेकिन शायद उन्होंने यह नहीं सोचा था कि 10 से कम का मतलब शून्य भी हो सकता है।


राजनीतिक सफर की शुरुआत

चुनावी रणनीतिकार से राजनीति में कदम

प्रशांत किशोर का नाम पहली बार 2012 में चर्चा में आया जब उन्होंने गुजरात चुनाव में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी के लिए सफल रणनीति बनाई। उस समय राजनीतिक परामर्श का चलन कम था, और उनकी रणनीति ने बीजेपी को शानदार जीत दिलाई। इसके बाद 2014 के लोकसभा चुनावों में भी उनकी रणनीति का महत्वपूर्ण योगदान रहा।


महागठबंधन से लेकर जन सुराज तक

किशोर ने 2015 में बिहार में महागठबंधन को जीत दिलाई, और इसके बाद पंजाब, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और बंगाल में भी कई जीत दिलाईं।


राजनीति में कदम रखा

जदयू में शामिल होना

2018 में किशोर ने जदयू में शामिल होकर सबको चौंका दिया, जहां नीतीश कुमार ने उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बना दिया। हालांकि, नागरिकता संशोधन कानून (CAA) पर मतभेद के कारण 2020 में उनका नीतीश कुमार से अलगाव हो गया।


जन सुराज अभियान की शुरुआत

बिहार में सक्रिय राजनीति

2021 में DMK और TMC को जीत दिलाने के बाद, किशोर ने बिहार में जन सुराज अभियान शुरू किया। उन्होंने गांव-गांव जाकर लोगों की समस्याओं को समझने का प्रयास किया और 2024 में अपनी पार्टी का औपचारिक गठन किया।


चुनाव परिणाम और निराशा

जन सुराज पार्टी की विफलता

काफी प्रचार और सोशल मीडिया पर सक्रियता के बावजूद, जन सुराज पार्टी चुनाव में पूरी तरह असफल रही और एक भी सीट नहीं जीत सकी। दूसरी ओर, जेडीयू ने 2020 की तुलना में 41 सीटें अधिक जीतीं। किशोर ने पहले कहा था कि उन्होंने बिहार के लिए 10 साल समर्पित किए हैं, लेकिन चुनाव परिणामों पर उनकी कोई टिप्पणी नहीं आई है। उनकी पार्टी के बिहार प्रमुख मनोज भारती ने कहा कि लोग जन सुराज की राजनीति को समझ नहीं पाए और वे फिर से शुरुआत करेंगे।