बिहार चुनाव: नीतीश कुमार की सरकार की वापसी की संभावना
नीतीश सरकार की संभावित वापसी
बिहार में एक बार फिर से नीतीश कुमार की सरकार बनने की संभावना नजर आ रही है। प्रारंभिक रुझानों के अनुसार, जनता ने एनडीए गठबंधन पर फिर से विश्वास जताया है। इस बार चुनाव की तैयारी विशेष रूप से महत्वपूर्ण रही, जिसमें दोनों गठबंधनों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी।
महागठबंधन की रणनीतियाँ
महागठबंधन ने अपने प्रचार में जोरदार दावे किए, जबकि राजद नेता तेजस्वी यादव ने हर घर में सरकारी नौकरी देने का आश्वासन दिया। लेकिन उनके सभी प्रयास विफल होते दिख रहे हैं। दूसरी ओर, एनडीए ने बिहार की जनता, विशेषकर महिलाओं का विश्वास जीतने की कोशिश की है। आरजेडी के पुराने मुद्दों को याद दिलाने का प्रयास भी किया गया, जिसका प्रभाव रुझानों में स्पष्ट हो रहा है।
महिलाओं पर ध्यान केंद्रित
प्रधानमंत्री नीतीश कुमार और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चुनावी रैलियों में 'कट्टा, दुनाली, रंगदारी' जैसे शब्दों का उपयोग कर मतदाताओं को जंगल राज की याद दिलाई। पीएम मोदी ने बिहार से ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र किया। इस बार लगभग 71 प्रतिशत महिलाओं ने मतदान किया। सीएम नीतीश ने 1.3 करोड़ महिलाओं के लिए 10,000 रुपये की योजना शुरू की, जिससे महिलाओं ने एक बार फिर सुशासन बाबू पर भरोसा जताया।
एनडीए की चुनावी रैलियों की सफलता
नीतीश कुमार ने इस बार विपक्षी दलों पर निशाना साधने के साथ-साथ सभी आयु वर्ग के लोगों के लिए विशेष योजनाएँ भी प्रस्तुत कीं। वरिष्ठ नागरिकों की पेंशन को 400 रुपये से बढ़ाकर 1,100 रुपये किया गया। दिव्यांगों की पेंशन में भी वृद्धि की गई। पीएम मोदी ने मखाना बोर्ड और एयरपोर्ट की घोषणा कर जनता को यह विश्वास दिलाया कि केंद्र सरकार बिहार की जनता की भलाई के लिए प्रतिबद्ध है।
जनता का समर्थन
इन सभी कारणों से नीतीश कुमार की जीत की संभावना बढ़ती नजर आ रही है। विपक्षी दलों ने नीतीश कुमार की उम्र और बढ़ती समस्याओं का मजाक उड़ाया, जिसका जवाब जनता अपने वोट के माध्यम से देती दिख रही है। हालांकि अंतिम क्षणों में कुछ भी हो सकता है, लेकिन वर्तमान में सीएम नीतीश पर जनता का विश्वास मजबूत बना हुआ है।
