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बिहार विधानसभा चुनाव: एनडीए और महागठबंधन के घोषणापत्रों की तुलना

बिहार विधानसभा चुनाव 2023 में एनडीए और महागठबंधन के घोषणापत्रों की तुलना की गई है। एनडीए ने एक करोड़ नौकरियों का वादा किया है, जबकि महागठबंधन ने हर परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने का दावा किया है। जानें कौन से वादे सच्चाई के करीब हैं और बिहार के मतदाता किस दिशा में जाएंगे।
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बिहार विधानसभा चुनाव: एनडीए और महागठबंधन के घोषणापत्रों की तुलना

बिहार के भविष्य का चुनाव

बिहार के निवासियों के लिए अगले पांच वर्षों का भविष्य चुनने का समय आ गया है। चार दिन बाद, यानी छह नवंबर को, पहले चरण में 121 विधानसभा सीटों पर मतदान होगा। इससे पहले, मुख्य प्रतिद्वंद्वी गठबंधनों ने अपने घोषणापत्र जारी कर दिए हैं। एक ओर तेजस्वी यादव का 'प्रण' है, जिसे अन्य सहयोगी दलों का समर्थन नहीं मिल रहा है, जबकि दूसरी ओर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का सामूहिक संकल्प है। बिहार के लोग अब यह तय कर सकते हैं कि वे झूठे वादों को अपनाना चाहते हैं या सच्चाई के संकल्प को।


एनडीए का संकल्प पत्र

एनडीए का घोषणापत्र जारी होने के बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया पर लिखा कि यह संकल्प पत्र आत्मनिर्भर और विकसित बिहार के लिए उनके दृष्टिकोण को स्पष्ट करता है। इसमें किसानों, युवाओं और माताओं के जीवन को बेहतर बनाने की प्रतिबद्धता दिखाई देती है। यह प्रतिबद्धता बिहार के लोगों के लिए विश्वास का आधार बनेगी।


महागठबंधन का वादा

महागठबंधन के घोषणापत्र की शुरुआत एक वादे से होती है कि हर परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाएगी। यह केवल तेजस्वी यादव का वादा है, जिसे अन्य नेताओं ने नहीं दोहराया है। उपमुख्यमंत्री पद के दावेदार मुकेश सहनी ने भी इसे दोहराया है, लेकिन उनके एक इंटरव्यू में वे इस वादे का ठोस जवाब नहीं दे पाए।


वास्तविकता की पड़ताल

यह वादा इसलिए संदिग्ध है क्योंकि इसका कोई ठोस रोडमैप नहीं है। बिहार में 2.78 करोड़ परिवार हैं, जबकि केवल 23 लाख लोग सरकारी नौकरी कर रहे हैं। अगर हर परिवार को नौकरी देनी है, तो इसके लिए भारी वित्तीय संसाधनों की आवश्यकता होगी।


एनडीए का रोजगार वादा

एनडीए का घोषणापत्र एक करोड़ नौकरियों और रोजगार के वादे से शुरू होता है। पिछले पांच वर्षों में नीतीश कुमार की सरकार ने 10 लाख सरकारी नौकरियां दी हैं। इस प्रकार, अगले पांच वर्षों में एक करोड़ नौकरियों का वादा यथार्थता के करीब लगता है।


महिलाओं के सशक्तिकरण पर ध्यान

एनडीए के घोषणापत्र में महिलाओं के सशक्तिकरण पर विशेष ध्यान दिया गया है। मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के तहत महिलाओं को वित्तीय सहायता देने का वादा किया गया है।


बाढ़ की समस्या का समाधान

एनडीए ने बाढ़ की समस्या को रोकने का वादा किया है और कृषि योग्य भूमि के क्षेत्र को बढ़ाने के लिए नदी जोड़ योजना का प्रस्ताव रखा है।


आवास और स्वास्थ्य सेवाएं

एनडीए का वादा है कि 50 लाख पक्के मकान गरीबों को दिए जाएंगे। इसके अलावा, आयुष्मान भारत योजना के तहत मुफ्त इलाज की सुविधा भी दी जाएगी।


शिक्षा और युवा सशक्तिकरण

शिक्षा के क्षेत्र में, एनडीए एक लाख 60 हजार शिक्षकों की नियुक्ति करेगा और हर जिले में स्कूलों का कायाकल्प करेगा।


निष्कर्ष

इस प्रकार, एनडीए का घोषणापत्र जमीनी वास्तविकताओं पर आधारित है, जबकि महागठबंधन का घोषणापत्र झूठ का पुलिंदा प्रतीत होता है। बिहार के मतदाता अब यह तय करेंगे कि वे किस दिशा में जाना चाहते हैं।