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बिहार विधानसभा चुनाव: एनडीए को एग्जिट पोल में मिली बढ़त

बिहार विधानसभा चुनाव के परिणामों के अनुसार, एनडीए को एग्जिट पोल में बढ़त मिली है। मतदान का प्रतिशत 66.93 रहा, जिसमें ओबीसी और दलित समुदायों ने नीतीश कुमार के गठबंधन का समर्थन किया। जानें कि कैसे जातीय गणित और उम्मीदवारों का चयन चुनाव परिणामों को प्रभावित कर रहा है।
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बिहार विधानसभा चुनाव: एनडीए को एग्जिट पोल में मिली बढ़त

बिहार विधानसभा चुनाव का समापन

पटना: बिहार विधानसभा चुनाव अब संपन्न हो चुके हैं। दोनों चरणों में मतदाताओं ने उत्साहपूर्वक मतदान किया। दूसरे चरण में मतदान का प्रतिशत 68.79 तक पहुंच गया, जो एक नया रिकॉर्ड है। पहले चरण में लगभग 64 प्रतिशत वोट डाले गए थे।


मतदान का औसत और एग्जिट पोल के परिणाम

कुल मिलाकर औसत मतदान 66.93 प्रतिशत रहा। अब एग्जिट पोल के परिणाम सामने आ चुके हैं, जिनमें अधिकांश सर्वेक्षण यह दर्शाते हैं कि नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए एक बार फिर सत्ता में लौटेगी।


एनडीए को सीटों की संभावित संख्या

एग्जिट पोल में एनडीए को बढ़त


एक प्रमुख एग्जिट पोल में एनडीए को 147 से 167 सीटें मिलने की संभावना जताई गई है। वहीं, तेजस्वी यादव के महागठबंधन को 70 से 90 सीटें मिलने का अनुमान है। अन्य दलों जैसे जनसुराज को 0 से 2 और अन्य को 2 से 8 सीटें मिलने की संभावना है। इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि ओबीसी और दलित समुदायों ने नीतीश कुमार के गठबंधन को मजबूत समर्थन दिया है।


ओबीसी और अनुसूचित जातियों का मतदान

ओबीसी का 51% वोट एनडीए को


सर्वेक्षण के अनुसार, 51 प्रतिशत ओबीसी मतदाताओं ने एनडीए को वोट दिया। इसी प्रकार, 49 प्रतिशत अनुसूचित जाति (एससी) के लोगों ने भी सत्तारूढ़ गठबंधन का समर्थन किया। दूसरी ओर, 78 प्रतिशत मुस्लिम मतदाताओं ने महागठबंधन को चुना।


तेजस्वी यादव और राहुल गांधी लगातार ओबीसी, दलित और मुस्लिम समुदायों के अधिकारों की बात करते रहे हैं और आरक्षण की सीमा बढ़ाने का वादा भी करते हैं। फिर भी, ओबीसी का एक बड़ा हिस्सा एनडीए के साथ खड़ा रहा।


जातीय गणित का प्रभाव

बिहार का जातीय गणित


बिहार में जाति चुनाव में एक महत्वपूर्ण कारक है। राज्य की जनसंख्या 13 करोड़ से अधिक है, जिसमें 60 प्रतिशत से अधिक लोग हाशिए के समुदायों से हैं। कुल मिलाकर 85 प्रतिशत आबादी ओबीसी, ईबीसी, एससी या एसटी से संबंधित है।


आंकड़ों के अनुसार, ईबीसी 36 प्रतिशत, बीसी 27.1 प्रतिशत, एससी 19.7 प्रतिशत और एसटी 1.7 प्रतिशत हैं। सामान्य वर्ग की संख्या केवल 15.5 प्रतिशत है। इस प्रकार, वोटों का बंटवारा जाति के आधार पर होता है।


उम्मीदवारों का चयन और जातीय रणनीति

टिकट बंटवारे में यादव पर फोकस


चुनाव में उम्मीदवारों के चयन में जातीय रणनीति स्पष्ट रूप से दिखाई दी। महागठबंधन ने यादव समुदाय को अधिक प्राथमिकता दी और 67 यादव उम्मीदवारों को मैदान में उतारा। वहीं, एनडीए ने केवल 19 यादवों को टिकट दिए।


नीतीश कुमार ने अपनी कुर्मी जाति से 14 लोगों को मौका दिया, जबकि विपक्ष ने केवल सात कुर्मी उम्मीदवार उतारे। दोनों गठबंधनों ने अन्य जातियों में लगभग समान संख्या में टिकट बांटे, लेकिन यादव वोट बैंक पर महागठबंधन की नजर अधिक थी।