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महाविकास अघाड़ी की रैली में मतदाता सूची में गड़बड़ी का मुद्दा उठाया गया

महाविकास अघाड़ी ने मुंबई में एक बड़ी रैली आयोजित की, जिसमें मतदाता सूची में गड़बड़ी का मुद्दा उठाया गया। उद्धव और राज ठाकरे ने इस रैली में भाग लिया, जो लगभग 20 वर्षों बाद एक साथ नजर आए। राज ठाकरे ने वोटिंग में गड़बड़ी के सबूत पेश किए और सभी दलों ने चुनाव से पहले मतदाता सूची में सुधार की मांग की। शरद पवार ने भी लोकतंत्र की रक्षा की आवश्यकता पर जोर दिया। इस रैली ने राजनीतिक माहौल को गरमा दिया है।
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महाविकास अघाड़ी की रैली में मतदाता सूची में गड़बड़ी का मुद्दा उठाया गया

महाविकास अघाड़ी की रैली में जुटे नेता

मुंबई। महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनावों से पहले, विपक्षी गठबंधन महाविकास अघाड़ी (एमवीए) ने मतदाता सूची में गड़बड़ी को एक प्रमुख मुद्दा बना लिया है। इस संदर्भ में शनिवार को मुंबई में एक विशाल रैली आयोजित की गई, जिसमें सभी घटक दलों के नेता शामिल हुए। उद्धव ठाकरे के साथ उनके भाई राज ठाकरे भी इस रैली में उपस्थित रहे। यह उल्लेखनीय है कि लगभग 20 वर्षों के बाद, उद्धव और राज ठाकरे एक साथ किसी रैली में नजर आए।


रैली में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे ने कहा कि उनके पास वोटिंग में गड़बड़ी के ठोस सबूत हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि कल्याण, डोंबिवली, भिवंडी और पालघर के साढ़े चार हजार मतदाताओं ने मालाबार हिल में भी मतदान किया था। राज ठाकरे ने यह भी बताया कि उनके पास इस संदर्भ में पूरी सूची मौजूद है। महाविकास अघाड़ी के सभी दलों के नेता चुनाव से पहले मतदाता सूची में सुधार की मांग कर रहे हैं।


रैली से पहले, सभी पार्टियों ने मुंबई के मेट्रो सिनेमा से बीएमसी कार्यालय तक एक मार्च निकाला। इस मार्च में एनसीपी के संस्थापक शरद पवार और कांग्रेस नेता बालासाहेब थोराट भी शामिल हुए। रैली में पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में वोटों की चोरी हुई है। उन्होंने कहा, 'हमारी पार्टी, नाम और चुनाव चिन्ह चोरी हो गए हैं, अब वोट भी चोरी हो रहे हैं। डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे और सीएम देवेंद्र फड़नवीस कहते हैं कि वे विरोधियों को बेनकाब करेंगे। मैं देवेंद्र फड़नवीस को खुली चुनौती देता हूं कि मुझे बेनकाब करें, दिखाएं कि हमें कैसे फायदा हो रहा है।'


शरद पवार ने अपने भाषण में कहा, 'आज का मार्च मुझे 1978-89 के दौर की याद दिलाता है। उस समय मैं कॉलेज में पढ़ता था। संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन के दौरान काला घोड़ा इलाके में भी इसी तरह के मार्च निकाले गए थे। उन मार्च में विचारों की एकता और लोगों का दृढ़ संकल्प साफ दिखाई देता था। आज आपने जो एकता दिखाई है, वह मुझे उस समय की याद दिलाती है।' उन्होंने आगे कहा, 'हम अपने लिए कुछ नहीं मांग रहे, न सत्ता और न ही पद। हम सिर्फ यह चाहते हैं कि लोकतंत्र में संविधान प्रदत्त अधिकारों की रक्षा होनी चाहिए। संविधान में कही गई हर बात का पालन होना चाहिए, लेकिन सत्ताधारी दल अपनी मनमर्जी से नियमों में ढील देने लगे, तो लोकतंत्र खतरे में पड़ जाएगा।'