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राज ठाकरे का बीजेपी सांसद को जवाब: मराठी भाषा का अपमान बर्दाश्त नहीं होगा

महाराष्ट्र में भाषा को लेकर चल रही बहस अब राजनीतिक तकरार में बदल गई है। मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे को कड़ा जवाब देते हुए कहा कि मराठी भाषा का अपमान बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। ठाकरे ने स्पष्ट किया कि महाराष्ट्र में रहने वाले सभी लोगों को मराठी सीखनी होगी। उन्होंने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की हिंदी को अनिवार्य करने की योजना पर भी सवाल उठाए। ठाकरे ने मराठी और हिंदी के इतिहास पर भी चर्चा की, यह बताते हुए कि मराठी का इतिहास हजारों साल पुराना है।
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राज ठाकरे का बीजेपी सांसद को जवाब: मराठी भाषा का अपमान बर्दाश्त नहीं होगा

महाराष्ट्र में भाषा विवाद का राजनीतिक रंग

महाराष्ट्र में चल रहे भाषा विवाद ने अब राजनीतिक तकरार का रूप ले लिया है। मनसे के नेता राज ठाकरे ने बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे को कड़ी चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि यदि दुबे ने मराठी लोगों को पीटने की बात कही है, तो उन्हें मुंबई आकर दिखाना चाहिए, अन्यथा उन्हें समुद्र में डुबोकर सबक सिखाया जाएगा। ठाकरे ने स्पष्ट किया कि जो भी मराठी भाषा या संस्कृति का अपमान करेगा, उसे महाराष्ट्र के तरीके से जवाब दिया जाएगा।


मराठी भाषा का महत्व

मीरा रोड में हुई एक घटना का जिक्र करते हुए ठाकरे ने कहा कि जिस व्यक्ति को मारा गया, उसे उसी की भाषा में जवाब मिला। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में रहने के लिए मराठी सीखना आवश्यक है। ठाकरे ने यह भी कहा कि यदि कोई शांति से रहना चाहता है, तो महाराष्ट्रियों को कोई समस्या नहीं है, लेकिन अगर कोई उकसाने की कोशिश करेगा, तो उसे उचित जवाब मिलेगा।


मुख्यमंत्री पर निशाना

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर निशाना साधते हुए ठाकरे ने कहा कि सरकार कक्षा पहली से पांचवीं तक हिंदी को अनिवार्य करने की योजना बना रही है, जो कि महाराष्ट्र की पहचान के खिलाफ है। उन्होंने जोर देकर कहा कि पूरे राज्य में मराठी को अनिवार्य किया जाना चाहिए, न कि हिंदी। उनका आरोप है कि कुछ व्यापारी और नेता मुंबई और महाराष्ट्र में विभाजन की कोशिश कर रहे हैं.


मराठी और हिंदी का इतिहास

ठाकरे ने हिंदी भाषा पर टिप्पणी करते हुए कहा कि मराठी का इतिहास हजारों साल पुराना है, जबकि हिंदी केवल 200 साल पुरानी और एक मिश्रित भाषा है। उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा कि हिंदी को अभिजात भाषा बनने में अभी 1200 साल और लगेंगे। अंत में, उन्होंने यह स्पष्ट किया कि वे हिंदू हैं, लेकिन उन पर हिंदी थोपना स्वीकार नहीं है। गैर-मराठी लोगों को महाराष्ट्र में रहकर मराठी बोलना सीखना चाहिए और सार्वजनिक जीवन में इसे प्राथमिकता देनी चाहिए।