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वर्ल्ड अल्जाइमर डे: याददाश्त को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण टिप्स

21 सितंबर को वर्ल्ड अल्जाइमर डे के अवसर पर, यह जानना महत्वपूर्ण है कि कैसे हम अपने मस्तिष्क की सेहत को बनाए रख सकते हैं। आहार, व्यायाम और ध्यान जैसी गतिविधियाँ हमारी याददाश्त को मजबूत कर सकती हैं। शोध बताते हैं कि सैचुरेटेड फैट्स और अतिरिक्त चीनी से बचना, मछली के तेल का सेवन करना, और पर्याप्त नींद लेना आवश्यक है। इस लेख में हम इन सभी पहलुओं पर चर्चा करेंगे, जो आपकी याददाश्त को बनाए रखने में मदद कर सकते हैं।
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वर्ल्ड अल्जाइमर डे: याददाश्त को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण टिप्स

वर्ल्ड अल्जाइमर डे और मेमोरी लॉस

हर साल 21 सितंबर को वर्ल्ड अल्जाइमर डे मनाया जाता है, जो एक ऐसी बीमारी से संबंधित है जो उम्र बढ़ने के साथ मेमोरी लॉस को बढ़ाती है। याददाश्त को बनाए रखना समय के साथ आवश्यक है, और यह सब मस्तिष्क की सेहत से जुड़ा है। जब मस्तिष्क स्वस्थ होता है, तो शरीर भी स्वस्थ रहता है। कुछ शोध बताते हैं कि यदि हम अपने दैनिक जीवन में आहार, व्यायाम और ध्यान जैसी गतिविधियों को शामिल करें, तो हमारी याददाश्त कमजोर नहीं होगी.


आहार का प्रभाव

2021 में किए गए अध्ययनों की समीक्षा से पता चला है कि सैचुरेटेड फैट्स और अतिरिक्त चीनी से भरा आहार हिप्पोकैम्पस के कार्य को प्रभावित कर सकता है। हिप्पोकैम्पस वह मस्तिष्क का हिस्सा है जो हमारी स्मृति से जुड़ा होता है.


एक अन्य अध्ययन में 50 से 64 वर्ष के वयस्कों पर पाया गया कि केवल 10 दिनों तक अतिरिक्त चीनी का सेवन करने से स्मृति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, इसलिए शुगर का सेवन कम करना फायदेमंद हो सकता है.


मछली के तेल के फायदे

मछली के तेल में ओमेगा-3 फैटी एसिड, इकोसापेंटेनोइक एसिड (ईपीए), और डोकोसाहेक्सैनोइक एसिड (डीएचए) प्रचुर मात्रा में होते हैं। ये वसा हमारे समग्र स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण हैं और कोग्निटिव फंक्शन में सुधार कर सकते हैं. बुजुर्गों में मनोभ्रंश की स्थिति को कम करने में फिश ऑयल सप्लीमेंट सहायक हो सकता है.


ध्यान और व्यायाम का महत्व

खाने के साथ-साथ ध्यान और व्यायाम भी मस्तिष्क के लिए आवश्यक हैं। 2021 के एक अध्ययन में यह पाया गया कि ध्यान मस्तिष्क में ग्रे मैटर को बढ़ा सकता है, जो मेमोरी से संबंधित है. उम्र बढ़ने के साथ ग्रे मैटर की मात्रा कम होती जाती है, जिससे स्मृति और सोचने-समझने की क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है.


मोटापे और नींद का प्रभाव

2025 में प्रकाशित एक अध्ययन ने मोटापे और मेमोरी लॉस के बीच संबंधों का विश्लेषण किया, जिसमें पाया गया कि मोटापा याददाश्त को कम करता है और अल्जाइमर का जोखिम बढ़ाता है. इसके अलावा, 2019 की एक रिसर्च में कहा गया कि कम से कम 7 घंटे की नींद लेना अच्छी मेमोरी के लिए आवश्यक है.