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विशाखापत्तनम में वेंकटेश्वर मंदिर में भगदड़ से हुई त्रासदी पर उठे सवाल

विशाखापत्तनम के वेंकटेश्वर मंदिर में एक धार्मिक आयोजन के दौरान हुई भगदड़ में नौ लोगों की जान चली गई। इस घटना ने प्रशासन की लापरवाही को उजागर किया है, क्योंकि आयोजकों ने आवश्यक अनुमति नहीं ली थी। मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने इस मामले की गंभीरता को स्वीकार किया है और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई का आश्वासन दिया है। जानें इस त्रासदी के पीछे की पूरी कहानी और प्रशासन की भूमिका।
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विशाखापत्तनम में वेंकटेश्वर मंदिर में भगदड़ से हुई त्रासदी पर उठे सवाल

विशाखापत्तनम में भगदड़ की घटना


विशाखापत्तनम: आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले के कसीबुग्गा में स्थित वेंकटेश्वर मंदिर में शुक्रवार को हुई भगदड़ ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। इस घटना में एक बच्चे सहित नौ लोगों की जान चली गई और एक दर्जन से अधिक लोग घायल हुए। मंदिर के निर्माणकर्ता, 94 वर्षीय हरि मुकुंद पांडा ने शनिवार को कहा कि इस घटना के लिए कोई जिम्मेदार नहीं है।


पुलिस की कार्रवाई और आयोजकों की लापरवाही

आंध्र प्रदेश पुलिस ने जानकारी दी कि पांडा और मंदिर प्रबंधन के सदस्यों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। अधिकारियों ने बताया कि आयोजकों ने सभा के लिए आवश्यक अनुमति नहीं ली थी और वे इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद नहीं कर रहे थे।


भगदड़ का कारण क्या था?

राज्य के एक मंत्री ने बताया कि आमतौर पर मंदिर में 3,000 से 5,000 श्रद्धालुओं की व्यवस्था होती है, लेकिन कार्तिक एकादशी के अवसर पर 25,000 से अधिक लोग एकत्रित हुए थे। सरकारी सूत्रों के अनुसार, मंदिर का निर्माण निजी तौर पर किया गया था और यह धर्मस्व विभाग के नियंत्रण में नहीं था। श्रद्धालुओं के इकट्ठा होने की जगह पर निर्माण कार्य चल रहा था, और एक ही प्रवेश और निकास द्वार होने के कारण भीड़ बढ़ गई थी।


पांडा का बयान

पांडा ने इस घटना को 'दैवीय कृत्य' करार दिया। उन्होंने कहा, 'कोई भी जिम्मेदार नहीं है, यह ईश्वरीय कृत्य था।' श्रीकाकुलम के पुलिस अधीक्षक केवी महेश्वर रेड्डी ने बताया कि भगदड़ तब शुरू हुई जब एकादशी उत्सव के दौरान छह फुट ऊंची लोहे की रेलिंग गिर गई, जिससे श्रद्धालुओं में अफरा-तफरी मच गई। उन्होंने इसे भगदड़ नहीं, बल्कि एक दुर्घटना बताया।


मुख्यमंत्री का बयान

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने कहा कि मंदिर प्रशासन ने पुलिस को इस घटना की सूचना नहीं दी। उन्होंने कहा, 'अगर उन्होंने हमें सूचित किया होता, तो हम भीड़ को नियंत्रित करने के लिए सुरक्षा व्यवस्था कर सकते थे।' नायडू ने इस घटना को गंभीरता से लेने का आश्वासन दिया और कहा कि जिम्मेदार लोगों को तुरंत हिरासत में लिया जाएगा।