सुप्रीम कोर्ट में 69000 शिक्षक भर्ती मामले की सुनवाई, आरक्षण में विसंगति पर फैसला संभव

सुप्रीम कोर्ट में आरक्षण विवाद पर सुनवाई
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में 69000 शिक्षक भर्ती से संबंधित मामले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में आरक्षण नियमों में हुई विसंगति पर सुनवाई होने जा रही है। इस पर कोर्ट द्वारा कल महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया जा सकता है।
इस भर्ती में 19000 सीटों पर आरक्षण में हुई गड़बड़ी को लेकर आरक्षण पीड़ित अभ्यर्थियों ने पिछड़ा दलित संयुक्त मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष सुशील कश्यप और प्रदेश संरक्षक भास्कर सिंह के नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश वी आर गवई को हजारों ईमेल और रजिस्टर्ड डाक के माध्यम से पत्र भेजकर 21 जुलाई को सुनवाई की मांग की है।
याचिकाकर्ताओं ने अपने पत्र में स्पष्ट किया है कि इस भर्ती में ओबीसी वर्ग को 27% की जगह केवल 3.86% और एससी वर्ग को 21% की जगह सिर्फ 16.2% आरक्षण दिया गया है। यह मामला 2020 से चल रहा है और पिछले 11 महीनों से सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, लेकिन अब तक इस पर कोई सुनवाई नहीं हुई है। अब यह मामला 21 जुलाई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है। याचिकाकर्ताओं ने न्यायालय से अनुरोध किया है कि इस मामले का शीघ्र निस्तारण किया जाए ताकि उन्हें न्याय मिल सके।
पिछड़ा दलित संयुक्त मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष भास्कर सिंह ने कहा कि 21 जुलाई को इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति दींपाकर दत्ता और न्यायमूर्ति ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच में होगी। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की है कि वह सुप्रीम कोर्ट में आरक्षण पीड़ित याचियों के लिए अपने अधिवक्ता को भेजें। ताकि 13 अगस्त 2024 को लखनऊ डबल बेंच द्वारा रद्द की गई 69000 शिक्षक भर्ती की पूरी सूची पर किसी भी वर्ग का अहित न हो और आरक्षण पीड़ित अभ्यर्थियों को लाभ मिल सके।
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को ईमेल और रजिस्टर्ड डाक से पत्र भेजने वालों में लखनऊ, मुरादाबाद, संभल, रामपुर, बस्ती, गाजीपुर, सीतापुर, फैजाबाद, बलिया, सिद्धार्थ नगर, बाराबंकी, गोरखपुर, अयोध्या, मऊ, आजमगढ़, कानपुर, गाजियाबाद, नोएडा सहित प्रदेश के सभी जनपदों के आरक्षण पीड़ित अभ्यर्थियों ने इस मामले पर जल्द सुनवाई की गुहार लगाई है।