Newzfatafatlogo

हरि-हर मिलन पर्व: उज्जैन में मनाने की तिथि और महत्व

हरि-हर मिलन पर्व, जो कि सनातन धर्म में महत्वपूर्ण माना जाता है, उज्जैन में मनाया जाएगा। यह पर्व कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और महादेव के बीच विशेष पूजा विधि का पालन किया जाता है। जानें इस पर्व का महत्व और इसे मनाने की सही विधि के बारे में।
 | 
हरि-हर मिलन पर्व: उज्जैन में मनाने की तिथि और महत्व

महाकाल की नगरी में हरि-हर मिलन का पर्व


हरि-हर मिलन का पर्व विशेष महत्व रखता है
इस पर्व को सनातन धर्म में एक महत्वपूर्ण अवसर माना जाता है, खासकर महाकाल की नगरी उज्जैन में। मान्यता है कि इस दिन बाबा महाकाल भगवान विष्णु से मिलने के लिए गोपाल मंदिर जाते हैं और उन्हें जगत के संचालन का कार्य सौंपते हैं।


पर्व की तिथि

हरि-हर मिलन का पर्व कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष यह पर्व 3 नवंबर को रात 9:35 बजे प्रारंभ होगा और 4 नवंबर को शाम 6:06 बजे समाप्त होगा।


पर्व का महत्व

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, चातुर्मास के दौरान भगवान विष्णु पाताल लोक में योगनिद्रा में रहते हैं और इस समय जगत का संचालन भगवान शिव करते हैं। चातुर्मास के अंत में देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु जागते हैं।


विशेष पूजा विधि

इस दिन महादेव पर तुलसी की माला चढ़ाई जाती है और भगवान विष्णु को बेलपत्र अर्पित किया जाता है। यह एक विशेष दिन है जब इन दोनों देवताओं के बीच आदान-प्रदान होता है।


धार्मिक क्रियाएँ

हरि-हर मिलन के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए। इस दिन व्रत और रात्रि जागरण का आयोजन भी किया जाता है। भगवान विष्णु और महादेव के मंत्रों का जाप करने से आशीर्वाद प्राप्त होता है।