आज़ाद की निर्भीकता और आत्मविश्वास देख अचरज में पड़ गया था ब्रिटिश जज: डॉ आनंद सिंह

कानपुर, 27 फरवरी (हि. स.)।आजाद महान क्रांतिकारी और प्रखर देशभक्त थे। एक बार ब्रिटिश सिपाहियों ने बालक चंद्रशेखर आजाद को गिरफ्तार कर जब अदालत में पेश किया तो बालक चंद्रशेखर आजाद ने जज के पूछने पर खुद का नाम आजाद बताया पिता का नाम स्वाधीनता और घर का पता जेलखाना बताया। जज भी आजाद की निर्भिकता आत्मविश्वास और देशभक्ति को देखकर अचरज में पड गए और क्रोधित होकर आजाद को 15 कोड़ों की सजा सुना दी। यह बातें गुरूवार को चंद्रशेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय कानपुर के कुलपति डॉ आनन्द कुमार सिंह ने शहीद चंद्रशेखर आजाद के बलिदान दिवस पर उनकी तस्वीर पर माल्यार्पण और पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि के दौरान कही।
उन्होंने बताया कि आजाद सजा के दौरान भारत माता की जय बोलते रहे और इसके बाद आजाद ने जीते जी कभी भी ब्रिटिश सिपाहियों के हाथ नहीं आने की प्रतिज्ञा ली। आजाद कहते थे ब्रिटिश हुकूमत के पास ऐसी कोई गोली नहीं बची जो आजाद की जान ले सके। 27 फरवरी 1931 को किसी मुखबिर की सूचना पर अल्फ्रेड पार्क प्रयागराज में ब्रिटिश सिपाहियों ने आजाद को चारों तरफ से घेरकर गोलियां चलाना शुरू कर दिया। आजाद ने जमकर मुकाबला किया। लेकिन, जब आजाद की पिस्टल में आखिरी गोली बची थी तो अपनी प्रतिज्ञा पूरी करने के लिए आजाद ने आखिरी गोली अपने सिर में मार ली और इस तरह वीरगती को प्राप्त हुए।
इस दौरान उपस्थित सभी शिक्षकों,वैज्ञानिकों,अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने चंद्रशेखर आजाद अमर रहे का जयघोष किया साथ ही दो मिनट का मौन भी रखा गया।
इस मौके पर डॉ पीके सिंह निदेशक शोध, अधिष्ठाता छात्र कल्याण डॉक्टर मुनीश कुमार,निदेशक प्रसार डॉक्टर आरके यादव, अधिष्ठाता गृह विज्ञान डॉक्टर मुक्त गर्ग, डॉ नौशाद खान, डॉक्टर पी के राठी, डॉक्टर वी के कनौजिया, डॉक्टर आशीष कुमार श्रीवास्तव एवं डॉक्टर आरपीएन सिंह सहित विश्वविद्यालय के छात्र छात्राएं सहित अन्य लोग मौजूद रहे।
हिन्दुस्थान समाचार / मो0 महमूद