कार्तिक पूर्णिमा 2025: पूजा विधि और शुभ मुहूर्त की जानकारी
कार्तिक पूर्णिमा का महत्व
स्नान और दान का महत्व
कार्तिक पूर्णिमा का दिन सनातन धर्म में विशेष महत्व रखता है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। कार्तिक माह की पूर्णिमा का महत्व और भी बढ़ जाता है। कई भक्त इस माह में स्नान करते हैं, जबकि कुछ गंगा किनारे कल्पवास करते हैं। कार्तिक पूर्णिमा के दिन स्नान करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। आध्यात्मिक गुरु पंडित कमलापति त्रिपाठी के अनुसार, इस दिन गंगा स्नान से जीवन की समस्याएं दूर होती हैं और शांति एवं समृद्धि आती है। स्नान के बाद भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है।
- पूर्णिमा तिथि आरंभ: 04 नवंबर 2025 को रात 10:36 बजे से
- पूर्णिमा तिथि समाप्त: 05 नवंबर 2025 को शाम 06:48 बजे तक
- उदया तिथि के अनुसार पूर्णिमा 05 नवंबर को मनाई जाएगी।
शुभ मुहूर्त
- ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04:46 बजे से 05:37 बजे तक
- विजय मुहूर्त: दोपहर 01:56 बजे से 02:41 बजे तक
- गोधूलि मुहूर्त: शाम 05:40 बजे से 06:05 बजे तक
- चंद्रोदय: शाम 07:20 बजे
पूजा विधि
इस दिन भक्तों को सुबह जल्दी उठकर शुभ मुहूर्त में स्नान करना चाहिए। इसके बाद सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करें। यदि संभव हो तो मंदिर जाएं, अन्यथा घर पर साफ-सफाई करके चौकी पर पीला कपड़ा बिछाएं।
भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें, फूल-माला अर्पित करें, दीपक जलाएं और विष्णु चालीसा का पाठ करें। इस अवसर पर मंत्रों का जप विशेष फल देता है। भगवान को फल, मिठाई और अन्य सामग्री से भोग लगाएं और प्रसाद का वितरण करें।
दान का महत्व
कार्तिक पूर्णिमा के दिन स्नान के बाद दान का विशेष महत्व है। मान्यता है कि पूजा के बाद अपनी सामर्थ्यानुसार गरीबों को दान देना चाहिए। इससे घर में सुख-समृद्धि आती है। यदि संभव हो तो तुलसी के पौधे और मंदिर में दीप जलाएं और किसी जलाशय में प्रवाहित करें।
