काल भैरव जयंती: तांत्रिकों के प्रिय देवता का महत्व
काल भैरव की पूजा से नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति
काल भैरव की पूजा से नकारात्मक शक्तियों, भय और संकटों से मिलती है मुक्ति
Kaal Bhairav Jayanti, नई दिल्ली: हिंदू धर्म में भगवान शिव के विभिन्न रूपों में काल भैरव का स्वरूप अत्यंत शक्तिशाली और रौद्र माना जाता है। वे समय, न्याय और अधर्म का नाश करने वाले देवता हैं। 'काल' का अर्थ है समय और 'भैरव' का अर्थ है भय का नाशक। इस वर्ष काल भैरव जयंती 12 नवंबर, बुधवार को मनाई जाएगी।
तंत्र साधना में काल भैरव का महत्व
तंत्र साधना का मुख्य उद्देश्य साधक को उसकी मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक सीमाओं से ऊपर उठाना होता है। इस साधना में भगवान काल भैरव की उपासना अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। साधक उनके मंत्र जप, यंत्र पूजन और ध्यान के माध्यम से उनकी कृपा प्राप्त करता है।
काल भैरव का तेज और शक्ति नकारात्मक शक्तियों, भय और संकटों से मुक्ति दिलाती है। उनकी उपासना से साधक अपने भीतर की ऊर्जा को जागृत करता है, आत्मविश्वास बढ़ाता है और जीवन में स्थिरता और साहस की प्राप्ति करता है। यही कारण है कि तांत्रिक साधक उन्हें अपने ईष्ट देव मानते हैं।
रौद्र रूप और शक्ति का साधन
काल भैरव का रौद्र रूप न केवल भय और संकट निवारण का प्रतीक है, बल्कि यह साधक को अनुशासन, साहस और आत्मबल की ओर मार्गदर्शन भी करता है। तांत्रिक साधना में साधक उनके तेजस्वी और प्रचंड स्वरूप के माध्यम से अपने भीतर की नकारात्मक शक्तियों, अहंकार और भय का विनाश करता है।
यह साधना न केवल मानसिक शांति प्रदान करती है, बल्कि जीवन में सुरक्षा और आध्यात्मिक विकास की दिशा भी दिखाती है। साधक अपने अंदर साहस, संयम और ध्यान की गहरी क्षमता अनुभव करता है।
असुरों और नकारात्मक शक्तियों पर विजय
काल भैरव की आराधना साधक को केवल आंतरिक शक्ति प्रदान नहीं करती, बल्कि जीवन की बाहरी बाधाओं, असुरों और नकारात्मक शक्तियों पर भी विजय दिलाती है। तंत्र साधना में उनकी उपासना का मूल उद्देश्य साधक को भय, संकट और मानसिक अस्थिरता से मुक्ति दिलाना है।
साधक जब उनके मंत्र जप, ध्यान और यंत्र पूजा करता है, तो उसके चारों ओर सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। यह आराधना जीवन में स्थिरता, सुरक्षा और साहस लाती है, साथ ही आध्यात्मिक विकास और आत्मबल की वृद्धि करती है, जिससे साधक अपने भीतर की शक्तियों का अनुभव करता है।
