गुरु हरकृष्ण साहिब का प्रकाशोत्सव श्रद्धा के साथ मनाया गया

गुरु हरकृष्ण साहिब का प्रकाशोत्सव
गुरु हरकृष्ण साहिब का प्रकाशोत्सव, जो आठवीं पातशाही के रूप में मनाया जाता है, स्थानीय ऐतिहासिक गुरुद्वारा गुरु तेग बहादुर साहिब में श्रद्धा और धूमधाम के साथ आयोजित किया गया। इस अवसर पर धार्मिक दीवान सजाया गया, जिसमें विभिन्न जत्थों ने गुरु हरकृष्ण साहिब के जीवन से जुड़े प्रसंगों को सुनाकर संगत को आनंदित किया।
परोपकार में भेदभाव का न होना
गुरुद्वारे के प्रवक्ता बलविंद्र सिंह ने बताया कि दीवान की शुरुआत में रागी जत्थे ने गुरबाणी का गायन किया। ज्ञानी गुरविंदर सिंह रत्तक ने अपने प्रवचनों में गुरु साहिब की शिक्षाओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि परोपकारी कार्य करते समय हमें किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं करना चाहिए।
मानवता की सेवा का उदाहरण
उन्होंने बताया कि गुरु को रूप की संज्ञा दी गई है, न कि केवल शरीर की। गुरु हरकृष्ण साहिब ने अपना जीवन दूसरों की सेवा में समर्पित कर मानवता की सेवा का एक अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत किया। इसके बाद, धर्म प्रचार कमेटी से आए भाई जसबीर सिंह ने गुरु हरकृष्ण साहिब की जीवनी को सुनाकर संगत को भावविभोर कर दिया।
गुरु की उपाधि पांच साल की उम्र में
गुरु हरकृष्ण साहिब का जन्म कीरतपुर साहिब में हुआ था। उनकी आध्यात्मिक विशेषताओं को देखते हुए, गुरु हरराय जी ने उन्हें मात्र पांच वर्ष की आयु में गुरु की उपाधि प्रदान की। इस प्रकार, वे सिख गुरुओं में सबसे कम उम्र के गुरु बने।
दिल्ली में चेचक का प्रकोप
गुरु हरकृष्ण साहिब के समय में दिल्ली में चेचक का गंभीर रोग फैला। उन्होंने रोगियों की सेवा करते हुए स्वयं भी इस बीमारी का शिकार हो गए। उनकी याद में नई दिल्ली में गुरुद्वारा बंगला साहिब का निर्माण किया गया, जहां आज भी लोग श्रद्धा से आते हैं।