देव दीवाली: महादेव की पूजा का महत्व और शुभ मुहूर्त
देव दीवाली, जो हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है, भगवान शिव के त्रिपुरासुर के वध की याद में होती है। इस दिन विशेष पूजा विधियों का पालन किया जाता है, जिसमें दीपदान और दान का महत्व है। जानें इस पर्व का शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि, जिससे जीवन में सुख और समृद्धि बनी रहे।
| Nov 2, 2025, 12:16 IST
भगवान शिव का त्रिपुरासुर का वध
हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दीवाली का पर्व मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था। इस अवसर पर देवताओं ने भगवान शिव की विशेष पूजा की थी। इसलिए, इस दिन को उत्साह के साथ मनाने की परंपरा है। मान्यता है कि इस दिन की पूजा से जीवन में सुख और शांति बनी रहती है और महादेव की कृपा से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।
देव दीवाली का शुभ मुहूर्त
- इस वर्ष देव दीवाली 05 नवंबर को मनाई जाएगी, जो कार्तिक पूर्णिमा के दिन है।
- पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 04 नवंबर को रात 10:36 बजे होगी।
- पूर्णिमा तिथि का समापन 05 नवंबर को शाम 06:48 बजे होगा।
- ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04:46 से 05:37 बजे तक।
- विजय मुहूर्त: दोपहर 01:56 से 02:41 बजे तक।
- गोधूलि मुहूर्त: शाम 05:40 से 06:05 बजे तक।
देव दीवाली पूजा विधि
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करें।
- प्रदोष काल में पूजा करें।
- चौकी पर साफ कपड़ा बिछाकर शिव जी की प्रतिमा स्थापित करें।
- देसी घी का दीपक जलाएं।
- फूलों की माला अर्पित करें।
- शिवलिंग का अभिषेक कच्चे दूध, शहद, दही, घी और पंचामृत से करें।
- शिव चालीसा और मंत्रों का जप करें।
- फल और मिठाई का भोग लगाएं।
- प्रभु से सुख-शांति की प्राप्ति की कामना करें।
दीपदान का महत्व
सनातन धर्म में देव दीवाली के दिन गंगा नदी के घाटों पर दीपदान का विशेष महत्व है। इस दिन दीपदान करने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है और सभी पापों से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा, दीपदान से भगवान विष्णु और धन की देवी मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।
इस दिन दान करने से धन और अन्न के भंडार भरे रहते हैं।
