Newzfatafatlogo

प्रदोष व्रत: शिवलिंग पर चढ़ाने के लिए 7 विशेष वस्तुएं

प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है, जो हर महीने की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन विशेष वस्तुओं को शिवलिंग पर चढ़ाने से भक्तों के धन, सुख और समृद्धि में वृद्धि होती है। जानें इस व्रत पर चढ़ाने के लिए 7 खास वस्तुएं और पूजा विधि, जो आपके जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकती हैं।
 | 
प्रदोष व्रत: शिवलिंग पर चढ़ाने के लिए 7 विशेष वस्तुएं

धन और समृद्धि में वृद्धि


प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित एक महत्वपूर्ण व्रत है, जो हर महीने की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन प्रदोष काल में पूजा का विशेष महत्व होता है। यह माना जाता है कि जो भक्त इस दिन सच्चे मन से पूजा करते हैं, उन पर भगवान शिव की कृपा सदैव बनी रहती है। इस दिन शिवलिंग पर कुछ खास वस्तुएं अर्पित करने से महादेव जल्दी प्रसन्न होते हैं, जिससे भक्तों के धन, सुख और समृद्धि में वृद्धि होती है। नवंबर 2025 का दूसरा प्रदोष व्रत 17 नवंबर को है। आइए जानते हैं कि इस दिन शिवलिंग पर क्या चढ़ाना चाहिए?


शिवलिंग पर चढ़ाने के लिए 7 विशेष वस्तुएं


  • कच्चा दूध: गाय का शुद्ध कच्चा दूध शिवलिंग पर अर्पित करने से मानसिक शांति मिलती है और आर्थिक बाधाएं दूर होती हैं। सोम प्रदोष के दिन यह विशेष रूप से शुभ माना जाता है।

  • दही: दही से अभिषेक करने से जीवन में स्थिरता आती है और आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।

  • शहद: शिवलिंग पर शहद अर्पित करने से सौभाग्य में वृद्धि होती है और कर्ज से मुक्ति मिलती है।

  • बिल्व पत्र: भगवान शिव को बिल्व पत्र प्रिय है। धन-समृद्धि की कामना के लिए तीन पत्तियों वाला बिल्व पत्र उल्टा अर्पित करें।

  • गन्ने का रस: प्रदोष व्रत के दिन गन्ने के रस से अभिषेक करने से घर में लक्ष्मी का आगमन होता है।

  • काले तिल: शिवलिंग पर काले तिल चढ़ाने से शनि दोष का प्रभाव कम होता है और रुके हुए धन की प्राप्ति होती है।

  • अक्षत: अक्षत चढ़ाने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है और धन के भंडार हमेशा भरे रहते हैं।


प्रदोष व्रत पूजा विधि

प्रदोष काल शुरू होने से पहले स्नान करें। शिवलिंग पर गंगाजल, फिर दूध, दही, शहद, और गन्ने के रस से बारी-बारी अभिषेक करें। शुद्ध जल अर्पित करें और ॐ नम: शिवाय का जाप करें। बिल्व पत्र, धतूरा, भांग और अन्य विशेष वस्तुएं अर्पित करें। धूप-दीप जलाकर शिव चालीसा और प्रदोष व्रत कथा का पाठ करें, अंत में आरती करें।