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बैकुंठ चतुर्दशी: भगवान विष्णु और शिव की पूजा का महत्व

बैकुंठ चतुर्दशी का पर्व 4 नवंबर को मनाया जाएगा, जिसमें भगवान विष्णु और भगवान शिव की एक साथ पूजा का महत्व है। इस दिन की पूजा से भक्तों को भक्ति, ज्ञान और मोक्ष का आशीर्वाद मिलता है। पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान विष्णु ने इस दिन भगवान शिव की आराधना की थी, जिससे उन्हें बैकुंठ लोक का अधिपति बनने का आशीर्वाद मिला। जानें इस दिन की पूजा विधि और धार्मिक मान्यता के बारे में अधिक जानकारी।
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बैकुंठ चतुर्दशी: भगवान विष्णु और शिव की पूजा का महत्व

हिंदू धर्म में बैकुंठ चतुर्दशी का महत्व


बैकुंठ चतुर्दशी का पर्व
यह पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव की एक साथ पूजा का महत्व है। हिंदू धर्म में भगवान विष्णु को सृष्टि के पालनहार और दया के देवता माना जाता है, जबकि भगवान शिव को विनाश और परिवर्तन का देवता माना जाता है। बैकुंठ चतुर्दशी का अर्थ है कि जब ये दोनों शक्तियाँ एक साथ पूजी जाती हैं, तब जीवन में संतुलन स्थापित होता है। इस दिन की पूजा से भक्त को भक्ति, ज्ञान और मोक्ष का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस वर्ष बैकुंठ चतुर्दशी 4 नवंबर को दोपहर 2 बजे से आरंभ होकर रात 10:36 बजे समाप्त होगी।


पौराणिक कथा और महत्व

पौराणिक मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु वाराणसी में जाकर भगवान शिव की आराधना करते हैं। कथा के अनुसार, भगवान विष्णु ने सहस्र कमलों से शिवलिंग का अभिषेक करने का संकल्प लिया था। जब एक कमल कम पड़ गया, तो उन्होंने अपने कमलनयन को अर्पित कर दिया। इस अद्भुत भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने विष्णु को बैकुंठ लोक का अधिपति बनने का आशीर्वाद दिया। इसलिए इस दिन को बैकुंठ चतुर्दशी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन बैकुंठ का द्वार भक्तों के लिए खुला माना जाता है।


पूजा विधि और धार्मिक मान्यता

धार्मिक दृष्टि से यह दिन अत्यंत पुण्यदायी है। भक्त प्रात: स्नान कर शिवालय में जाकर भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं और बिल्वपत्र अर्पित करते हैं। भगवान विष्णु की पूजा तुलसी और शालिग्राम से की जाती है। कहा जाता है कि इस दिन जो व्यक्ति विष्णु और शिव दोनों की आराधना करता है, उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे जन्म-मरण के बंधन से मुक्ति मिलती है। वाराणसी में इस दिन विशेष रूप से गंगा स्नान, दीपदान और शिव-विष्णु संयुक्त आरती का आयोजन होता है।


अन्य महत्वपूर्ण जानकारी

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