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शारदीय नवरात्रि 2025: मां दुर्गा की उपासना के नियम और महत्व

शारदीय नवरात्रि 2025 का पर्व मां दुर्गा के नौ रूपों की उपासना का विशेष अवसर है। इस दौरान भक्तों को मां दुर्गा की पूजा के लिए कुछ विशेष नियमों का पालन करना आवश्यक होता है। जानें नवदुर्गा के नौ रूप, पूजा विधि, और मां दुर्गा को अर्पित किए जाने वाले भोग के बारे में। इस पर्व का महत्व और सावधानियों के बारे में भी जानकारी प्राप्त करें।
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शारदीय नवरात्रि 2025: मां दुर्गा की उपासना के नियम और महत्व

शारदीय नवरात्रि का महत्व

शारदीय नवरात्रि 2025: यह पर्व शक्ति, भक्ति और आस्था का प्रतीक है, जिसमें मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दौरान जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा धरती पर आती हैं और अपने भक्तों को सुख और समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं। नवरात्रि के नौ दिनों में मां जगदम्बे के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है। इस अवसर पर मां दुर्गा की पूजा के लिए कुछ विशेष नियमों का पालन करना आवश्यक होता है। कलश स्थापना के साथ मां दुर्गा की विशेष पूजा की जाती है।


नवदुर्गा के नौ रूप

नवदुर्गा के नौ रूप:
प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी।
तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति। चतुर्थकम्।।
पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च।
सप्तमं कालरात्रीति। महागौरीति चाष्टमम्।।
नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा: प्रकीर्तिता:।
उक्तान्येतानि नामानि ब्रह्मणैव महात्मना:।।


मन और स्थान की शुद्धि

मन विचार और स्थान की शुद्धि:
शास्त्रों में कहा गया है कि आदि शक्ति जगदम्बा सर्व शक्तिमान हैं। इनकी पूजा के लिए मन, विचार और स्थान की शुद्धि अत्यंत आवश्यक है। मान्यता है कि मां अंबे शुद्धता से प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों को मनोवांछित फल प्रदान करती हैं।


मां दुर्गा को अर्पित करें पुष्प और भोग

मां दुर्गा को अर्पित करें पुष्प और भोग:
नवरात्रि के दौरान देवी के स्वरूपों की पूजा का विधान है। जिस दिन देवी के जिस स्वरूप की पूजा होती है, उस दिन देवी को प्रिय पुष्प और भोग अर्पित करने का नियम है। मां दुर्गा को गुड़हल, कमल, गुलाब, चंपा, चमेली, गेंदा और जूही जैसे फूल प्रिय हैं, विशेषकर गुड़हल का लाल फूल। नारियल से बनी मिठाई का भोग भी शुभ माना जाता है। नवरात्रि के अंतिम दिन मां सिद्धिदात्री को हलवा, पूरी, चना और खीर का भोग अर्पित किया जाता है।


सावधानी

सावधानी:
भोग प्रसाद में मां दुर्गा को खट्टे और तामसिक फल अर्पित नहीं करने चाहिए।