महिला वनडे वर्ल्ड कप में स्मृति मंधाना और शैफाली वर्मा की ऐतिहासिक साझेदारी
महिला क्रिकेट में नया अध्याय
मुंबई: भारतीय महिला क्रिकेट टीम की दो प्रमुख बल्लेबाजों, स्मृति मंधाना और शैफाली वर्मा ने शुक्रवार को एक ऐसा कारनामा किया जो भारतीय क्रिकेट के इतिहास में अद्वितीय है। मुंबई में आयोजित महिला वनडे वर्ल्ड कप फाइनल में, इन दोनों ने मिलकर 104 रनों की साझेदारी की, जिससे भारतीय क्रिकेट में एक नया अध्याय जुड़ गया।
बारिश से प्रभावित इस मैच में, साउथ अफ्रीका ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी का निर्णय लिया। लेकिन भारतीय सलामी बल्लेबाजों ने शानदार प्रदर्शन करते हुए टीम को एक मजबूत शुरुआत दी।
शानदार शुरुआत से मिली मजबूती
महत्वपूर्ण वर्ल्ड कप फाइनल में एक मजबूत शुरुआत की आवश्यकता होती है, और स्मृति-शैफाली की जोड़ी ने इसे बखूबी निभाया। दोनों ने 17.4 ओवरों में 104 रन जोड़कर विपक्षी गेंदबाजों को निष्क्रिय कर दिया। साउथ अफ्रीका की कप्तान लॉरा वूल्वार्ड्ट शुरुआती विकेट की उम्मीद कर रही थीं, लेकिन मंधाना और वर्मा ने उनकी सभी योजनाओं को विफल कर दिया। इस साझेदारी ने न केवल टीम को बढ़त दिलाई, बल्कि विरोधियों पर भी दबाव डाला।
नॉकआउट में पहली बार सैकड़ा साझेदारी
भारतीय क्रिकेट के इतिहास में यह पहली बार है जब किसी नॉकआउट वर्ल्ड कप मैच में भारतीय ओपनरों ने 100 से अधिक रनों की साझेदारी की है, चाहे वह महिला क्रिकेट हो या पुरुष। इससे पहले महिलाओं के लिए सर्वश्रेष्ठ ओपनिंग स्टैंड 20 रनों का था, जो एस. हरिकृष्णा और पूर्णिमा राउ के नाम था। मंधाना और शैफाली ने इस रिकॉर्ड को तोड़कर भारतीय क्रिकेट को नया गौरव प्रदान किया है।
पुरुष क्रिकेट के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ा
स्मृति-शैफाली की इस साझेदारी ने पुरुष क्रिकेट के रिकॉर्ड्स को भी पीछे छोड़ दिया है। पुरुषों में वर्ल्ड कप नॉकआउट में सबसे बड़ी ओपनिंग साझेदारी 90 रनों की थी, जो नवजोत सिंह सिद्धू और सचिन तेंदुलकर ने 1996 में पाकिस्तान के खिलाफ की थी। अब मंधाना-शैफाली की 104 रन की साझेदारी इस रिकॉर्ड को पार कर चुकी है और भारतीय क्रिकेट के इतिहास में एक नई ऊंचाई पर पहुंच गई है।
संयोग से बना ऐतिहासिक पल
दिलचस्प बात यह है कि यह जोड़ी टूर्नामेंट की शुरुआत में खेलने वाली नहीं थी। स्मृति के साथ पहले प्रातिका रावल ओपनिंग कर रही थीं, लेकिन बांग्लादेश के खिलाफ मैच में उनके टखने में चोट लगने के बाद वह बाहर हो गईं। इस स्थिति में शैफाली वर्मा को मौका मिला। हालांकि वह सेमीफाइनल में खास प्रदर्शन नहीं कर सकीं, लेकिन फाइनल में उन्होंने आत्मविश्वास के साथ अपना सर्वश्रेष्ठ दिया और भारत के लिए इतिहास रच दिया।
महिला क्रिकेट की नई ऊंचाई
मंधाना और शैफाली की साझेदारी केवल रन बनाने का मामला नहीं था, बल्कि यह भारतीय महिला क्रिकेट की नई सोच और आत्मविश्वास का प्रतीक थी। दोनों ने साबित कर दिया कि भारत अब किसी भी मंच पर पिछड़ने वाला नहीं है। उनकी यह पारी आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनेगी और महिला क्रिकेट को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाएगी।
