क्या अफ्रीकी पेंग्विन का अस्तित्व संकट में है? जानें समुद्री जीवन पर पड़ रहे प्रभाव
अफ्रीकी पेंग्विनों का संकट
नई दिल्ली: दक्षिण अफ्रीका के तटों पर एक गंभीर संकट उत्पन्न हो रहा है। पिछले कुछ वर्षों में 60,000 से अधिक अफ्रीकी पेंग्विन भूख के कारण मारे गए हैं। इनकी मुख्य आहार सामग्री, जैसे सारडीन और एंचोवी मछलियां, लगभग समाप्त हो चुकी हैं। इसके परिणामस्वरूप, यह प्यारी प्रजाति अब विलुप्त होने के कगार पर है।
खाली होती कॉलोनियां
डैसन आइलैंड और रॉबेन आइलैंड, जो कभी अफ्रीकी पेंग्विनों के सबसे बड़े निवास स्थान थे, अब लगभग खाली हो चुके हैं। 2004 से 2012 के बीच, इन कॉलोनियों में 95% से अधिक पेंग्विनों की मृत्यु हो गई। सबसे दुखद घटनाएं तब हुईं जब पेंग्विन अपने पुराने पंख बदल रहे थे, जो 21 दिनों तक चलता है और इस दौरान वे तैर नहीं सकते। जब भोजन की कमी हो गई, तो उनके शरीर के सभी रिजर्व समाप्त हो गए और वे मर गए।
जलवायु परिवर्तन और मानव गतिविधियों का प्रभाव
समुद्र का तापमान बढ़ रहा है और नमक की मात्रा में बदलाव आ रहा है, जिससे सारडीन मछलियों की प्रजनन क्षमता प्रभावित हो रही है। इसके अलावा, बड़े-बड़े जहाज लगातार मछलियों का शिकार कर रहे हैं। 2004 के बाद से, केवल तीन वर्षों को छोड़कर, सारडीन की मात्रा अपने उच्चतम स्तर से 75% तक घट गई है। इसका परिणाम यह हुआ कि पेंग्विनों को भोजन नहीं मिल रहा है और उनकी जानें जा रही हैं।
बचे हुए पेंग्विनों की संख्या
तीस साल पहले, इन पेंग्विनों की संख्या लाखों में थी, लेकिन अब केवल 10,000 प्रजनन करने वाले जोड़े ही बचे हैं। 2024 में इन्हें 'गंभीर रूप से संकटग्रस्त' घोषित किया गया था। केपटाउन के बोल्डर बीच पर भी पर्यटक मुश्किल से कुछ सौ पेंग्विन देख पाते हैं।
बचाव के प्रयास
अब, इन पेंग्विनों की छह प्रमुख कॉलोनियों के आसपास बड़े जहाजों द्वारा मछली पकड़ने पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है। कृत्रिम घोंसले बनाए जा रहे हैं ताकि अंडे और चूजे सुरक्षित रह सकें। कमजोर पेंग्विनों को हाथ से खिलाने का काम किया जा रहा है और शार्क तथा सील जैसे शिकारियों को कॉलोनी से दूर रखने के प्रयास किए जा रहे हैं।
वैज्ञानिकों की चेतावनी
वैज्ञानिक डॉ. रिचर्ड शर्ले और प्रो. लोरिएन पिचेग्रू ने चेतावनी दी है कि यदि मछलियों की संख्या में तेजी से वृद्धि नहीं हुई, तो कुछ ही वर्षों में अफ्रीकी पेंग्विन हमेशा के लिए समाप्त हो जाएंगे। यह केवल पेंग्विनों की कहानी नहीं है, बल्कि समुद्री खाद्य श्रृंखला भी संकट में है। प्रकृति हमें फिर से चेतावनी दे रही है कि यदि हमने अभी नहीं संभाला, तो बहुत देर हो जाएगी।
