पाकिस्तान के मंत्री ने सीपीईसी की असफलता पर उठाए सवाल
सीपीईसी से पाकिस्तान को नहीं मिला लाभ
नई दिल्ली: पाकिस्तान के एक वरिष्ठ मंत्री ने स्पष्ट रूप से स्वीकार किया है कि चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) उनके देश के लिए कोई महत्वपूर्ण लाभ नहीं ला सका। योजना और विकास मंत्री अहसान इकबाल ने बताया कि पूर्व सरकारों की गलत नीतियों के कारण चीनी निवेशक पाकिस्तान छोड़ने के लिए मजबूर हो गए, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को गंभीर नुकसान हुआ है।
मंत्री का बयान और क्रिकेट का उदाहरण
द एक्सप्रेस ट्रिब्यून के अनुसार, मंत्री अहसान इकबाल ने पाकिस्तान ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स (पीबीएस) द्वारा आयोजित दो दिवसीय डेटाफेस्ट सम्मेलन के उद्घाटन में यह बात कही। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने कई सुनहरे अवसर गंवाए हैं, जब अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ सकती थी। सीपीईसी को 'गेम चेंजर' माना जाता था, लेकिन हम इसके संभावित लाभों को भी नहीं प्राप्त कर सके।
मंत्री ने अपनी बात को स्पष्ट करने के लिए क्रिकेट का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि जैसे क्रिकेट में आसान कैच छोड़ने से टीम हार जाती है, वैसे ही पाकिस्तान ने सीपीईसी जैसे बड़े प्रोजेक्ट से कोई ठोस लाभ नहीं उठाया। यह परियोजना चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो पाकिस्तान को क्षेत्रीय व्यापार केंद्र बनाने का वादा करती थी। लेकिन राजनीतिक अस्थिरता और नीतिगत गड़बड़ियों ने इसे कमजोर कर दिया।
पूर्व सरकार की नीतियों पर सवाल
अहसान इकबाल ने इस असफलता का ठीकरा पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) सरकार पर फोड़ा। उनके अनुसार, पीटीआई के शासनकाल में चीनी निवेशकों के साथ विश्वास की कमी आई, जिससे कई कंपनियां पाकिस्तान छोड़ गईं। इससे न केवल निवेश रुका, बल्कि चल रहे प्रोजेक्ट्स भी प्रभावित हुए। मंत्री ने चेतावनी दी कि अगर ऐसी गलतियां दोहराई गईं, तो पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था और पीछे चली जाएगी।
सीपीईसी की वर्तमान स्थिति
सीपीईसी 2013 में शुरू हुआ था और इसमें सड़कें, बंदरगाह, ऊर्जा परियोजनाएं और विशेष आर्थिक क्षेत्र शामिल हैं। शुरुआत में यह पाकिस्तान के लिए एक उम्मीद की किरण था, लेकिन सुरक्षा समस्याएं, भ्रष्टाचार के आरोप और राजनीतिक बदलाव ने इसे पटरी से उतार दिया। अब मौजूदा सरकार इसे पुनर्जीवित करने की कोशिश कर रही है, लेकिन मंत्री की यह स्वीकारोक्ति दर्शाती है कि रास्ता अभी लंबा है।
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पहले से ही मुद्रास्फीति, कर्ज और बेरोजगारी से जूझ रही है। ऐसे में सीपीईसी जैसे प्रोजेक्ट्स से उम्मीदें बंधी थीं, लेकिन असफलता ने सवाल खड़े कर दिए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि स्थिर नीतियां, पारदर्शिता और निवेशकों का भरोसा जीतना आवश्यक है।
