Newzfatafatlogo

पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट के जजों ने नए संविधान संशोधन के खिलाफ दिया इस्तीफा

पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट के दो वरिष्ठ जजों ने हाल ही में पारित 27वें संविधान संशोधन के विरोध में इस्तीफा दे दिया है। उनका कहना है कि यह संशोधन संविधान को नुकसान पहुंचाता है और न्यायपालिका की स्वतंत्रता को कमजोर करता है। जज मंसूर अली शाह और अतहर मिनल्लाह ने इस संशोधन की कड़ी आलोचना की है, जिसे उन्होंने लोकतांत्रिक व्यवस्था पर गंभीर हमला बताया। इस नए संशोधन के तहत एक नया फेडरल कॉन्सिटट्यूशनल कोर्ट स्थापित किया जाएगा, जो केवल संवैधानिक मामलों पर विचार करेगा।
 | 
पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट के जजों ने नए संविधान संशोधन के खिलाफ दिया इस्तीफा

पाकिस्तान के जजों का इस्तीफा


नई दिल्ली: पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट के दो प्रमुख न्यायाधीशों ने गुरुवार को हाल ही में पारित 27वें संविधान संशोधन के विरोध में अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उनका मानना है कि यह संशोधन संविधान को हानि पहुंचाता है और न्यायालय की स्वतंत्रता को भी कमजोर करता है। समाचार रिपोर्टों के अनुसार, राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने संशोधन पर हस्ताक्षर करने के कुछ घंटों बाद जज मंसूर अली शाह और अतहर मिनल्लाह ने अपने इस्तीफे की घोषणा की।


यह संशोधन पाकिस्तान की न्यायिक प्रणाली में महत्वपूर्ण बदलाव लाता है। इसके तहत एक नए फेडरल कॉन्सिटट्यूशनल कोर्ट का गठन किया जाएगा, जो केवल संवैधानिक मामलों पर विचार करेगा। मौजूदा सुप्रीम कोर्ट अब केवल सिविल और आपराधिक मामलों की सुनवाई करेगा, जिससे इसकी शक्ति और महत्व में कमी आने की आशंका जताई जा रही है।


संशोधन की आलोचना

संशोधन की कड़ी आलोचना:


जज मंसूर अली शाह ने अपने इस्तीफे में इस संशोधन की तीखी आलोचना की है। उन्होंने इसे पाकिस्तान के संविधान पर गंभीर हमला बताया और कहा कि यह सुप्रीम कोर्ट को कमजोर करता है। इसके अलावा, यह न्यायपालिका को सरकारी नियंत्रण में लाने का प्रयास है, जो लोकतांत्रिक व्यवस्था के मूल सिद्धांतों को नुकसान पहुंचाता है।


उनका कहना है कि यह संशोधन सुप्रीम कोर्ट की स्वतंत्रता और ईमानदारी को प्रभावित करता है और पाकिस्तान को कई साल पीछे ले जा सकता है। जजों ने आशा व्यक्त की है कि इस नुकसान को ठीक किया जा सकता है, लेकिन यह देश की संस्थाओं पर गहरा प्रभाव छोड़ेगा।


संविधान की रक्षा में असमर्थता

संविधान की रक्षा में असमर्थता - जज शाह:


जज शाह ने स्पष्ट किया कि उन्होंने सिद्धांत के आधार पर इस्तीफा दिया है। वह ऐसी अदालत में कार्य नहीं कर सकते हैं, जिसकी संवैधानिक शक्तियां सीमित कर दी गई हों। उन्होंने कहा कि कमजोर अदालत में बने रहना उनके लिए उस बात को स्वीकार करना होगा, जिसे वे गलत मानते हैं। इस सीमित भूमिका में रहते हुए वह संविधान की रक्षा नहीं कर पाएंगे।


संविधान के कमजोर संस्करण की रक्षा करना कठिन - जज अतहर मिनल्लाह:


जज अतहर मिनल्लाह ने कहा कि उन्होंने संविधान की रक्षा करने का वादा किया था, लेकिन अब वह इसके कमजोर संस्करण की रक्षा नहीं कर सकते। उन्होंने मुख्य न्यायाधीश को संशोधन के खतरों के बारे में पहले ही चेतावनी दी थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। अब, उनका कहना है कि जिस संविधान की रक्षा करने की उन्होंने शपथ ली थी, वह अब अस्तित्व में नहीं है।