फार्मा कंपनियों के लिए जीएसटी में कमी पर नई दिशा-निर्देश
हाल ही में चंडीगढ़ में आयोजित अंतरराष्ट्रीय फार्मा महासंघ की बैठक में औषधि उद्योग से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की गई। बैठक में जीएसटी में कमी के बाद फार्मा कंपनियों को एमआरपी पर स्टीकर लगाने की आवश्यकता नहीं होगी। इसके अलावा, सदस्यों को संशोधित अधिकतम खुदरा मूल्य प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है। जानें इस बैठक में और क्या निर्णय लिए गए हैं और इसका उद्योग पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
Sep 17, 2025, 19:47 IST
| 
बैठक में औषधि उद्योग के मुद्दों पर चर्चा
चंडीगढ़ समाचार: अंतरराष्ट्रीय फार्मा महासंघ (आईपीएफ) की हालिया बैठक में औषधि उद्योग से संबंधित महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की गई। इस बैठक में हरियाणा के औषधि नियंत्रक ललित गोयल, महासचिव नीरज गिरी और प्रवक्ता सुरेंद्र राठी शामिल हुए। बैठक का मुख्य उद्देश्य हाल ही में लागू जीएसटी परिवर्तनों का औषधीय मूल्य निर्धारण और अनुपालन पर प्रभाव का मूल्यांकन करना था।
हरियाणा ड्रग कंट्रोलर ने जीएसटी की दरों में कमी पर चर्चा की। ललित गोयल ने कहा कि जो स्टॉक आपके पास उपलब्ध है, उस पर स्टीकर लगाना अनिवार्य नहीं है। इसे बेचा जा सकता है और उस पर एमआरपी का स्टीकर लगाना आवश्यक नहीं है।
बैठक के बाद, महासचिव नीरज गिरी ने सभी कंपनियों के सदस्यों को विस्तृत जानकारी दी। सभी सदस्यों को संशोधित अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) सूची प्रपत्र-5 (आईपीएफ प्रारूप) में प्रस्तुत करनी होगी।
22 सितंबर 2025 तक उपलब्ध गोदामों के भंडार पर पुनः-लेबलिंग या पुनः-स्टिकर चिपकाना अनिवार्य नहीं होगा। सभी बिलों में स्पष्ट रूप से उल्लेख करना होगा कि ये घटे हुए जीएसटी के अनुसार बनाए गए हैं और रोगियों को कम हुए एमआरपी का पूरा लाभ दिया जाना चाहिए।
22 सितंबर के बाद के बिलों में पुराने और नए दोनों अधिकतम खुदरा मूल्य स्पष्ट रूप से दर्शाने होंगे। निर्माण या प्रसंस्करण में चल रहे उत्पादों पर नए जीएसटी मानकों का पालन आवश्यक होगा। घटे हुए अधिकतम खुदरा मूल्य से संबंधित जानकारी का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाएगा और जहां संभव हो, थोक विक्रेताओं और प्राप्तकर्ताओं से पुष्टि ली जाएगी।
ललित गोयल ने स्पष्ट किया कि इन दिशा-निर्देशों का पालन रोगी हित और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए अनिवार्य है। किसी भी स्पष्टीकरण के लिए सदस्य वाट्सऐप या इलेक्ट्रॉनिक डाक पर संपर्क कर सकते हैं।