भोग लगाना पूजा का अभिन्न हिस्सा है, जिससे देवी-देवता होते हैं प्रसन्न।
पूजा-पाठ में दीप जलाना, आरती करना और भोग लगाना आवश्यक है।
भोग लगाते समय विशेष मंत्र जाप से पूजा का गुणांक में वृद्धि होती है।
मंत्र - "त्वदीयं वस्तु गोविन्द" से भगवान को भोग का समर्पण करें।
मंत्र के जाप से भगवान से प्रार्थना और कृपा की अपेक्षा करें।
भोग के लिए सात्विक और स्वच्छ भोजन का चयन करें।
भोग को सोने, चांदी, तांबे, या पीतल से बने पात्र में रखें।