IAS संतोष वर्मा का विवादित बयान: क्या आरक्षण को लेकर ब्राह्मण समाज में बढ़ा आक्रोश?
मध्यप्रदेश में IAS संतोष वर्मा का विवादास्पद बयान
मध्यप्रदेश: अनुसूचित जाति के सरकारी कर्मचारियों के संगठन 'अजाक्स' के नए प्रांतीय प्रमुख, आईएएस संतोष वर्मा, एक विवादास्पद बयान के चलते चर्चा में हैं। आरक्षण पर अपने विचार व्यक्त करते हुए उन्होंने ब्राह्मण समुदाय के बारे में ऐसी टिप्पणी की, जिसने विवाद को जन्म दिया और राजनीतिक तथा सामाजिक हलकों में तीखी प्रतिक्रियाएँ शुरू कर दीं।
सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें संतोष वर्मा यह कहते हुए नजर आ रहे हैं कि आरक्षण तब तक जारी रहना चाहिए 'जब तक कोई ब्राह्मण परिवार अपनी बेटी' उनके बेटे को दान न कर दे या उससे संबंध न बनाए। इस बयान ने व्यापक विरोध को जन्म दिया है और विभिन्न समुदायों ने इसे आपत्तिजनक बताया है।
विवादास्पद बयान का मंच पर प्रदर्शन
वायरल वीडियो में संतोष वर्मा मंच से यह कहते हुए दिखाई दे रहे हैं कि वह तब तक नहीं मानेंगे कि किसी परिवार में एक व्यक्ति को आरक्षण मिलना चाहिए जब तक उनके बेटे को कोई ब्राह्मण अपनी बेटी दान न कर दे। उन्होंने कहा कि यदि केवल आर्थिक आधार पर बात की जाए, तो जब तक यह रोटी-बेटी का व्यवहार नहीं होता, तब तक हमें समाज के पिछड़ेपन के कारण आरक्षण की पात्रता मिलती रहेगी। यह टिप्पणी 23 नवंबर को अजाक्स के प्रांतीय अधिवेशन में की गई थी।
IAS संतोष वर्मा का परिचय
संतोष कुमार वर्मा मध्य प्रदेश काडर के 2012 बैच के आईएएस अधिकारी हैं और वर्तमान में किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग में उप सचिव के रूप में कार्यरत हैं। हाल ही में उन्हें 'अजाक्स' का प्रांतीय प्रमुख चुना गया है। वर्मा पहले भी विवादों में रह चुके हैं, जिनमें पदोन्नति के लिए कथित फर्जी दस्तावेज बनाने के आरोप शामिल हैं, जिसके चलते उन्हें गिरफ्तार किया गया और बाद में निलंबित भी किया गया। एक महिला द्वारा शादी का झांसा देकर ज्यादती के आरोप भी उनके खिलाफ दर्ज हो चुके हैं।
ब्राह्मण संगठनों की प्रतिक्रिया
आईएएस वर्मा के बयान ने ब्राह्मण समाज में नाराजगी पैदा कर दी है। ब्राह्मणसभा मध्य प्रदेश के अध्यक्ष डॉ. शैलेंद्र व्यास ने इस बयान को तुच्छ मानसिकता करार देते हुए कहा कि ऐसे अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। सवर्ण संगठनों ने भी प्रदेश सरकार से तुरंत हस्तक्षेप कर संतोष वर्मा के खिलाफ विभागीय और कानूनी कार्रवाई की मांग की है।
राजनीतिक गर्मी में इजाफा
आरक्षण और जातिगत मुद्दों पर दी गई यह टिप्पणी अब राजनीतिक बहस का विषय बन गई है। प्रशासनिक पद पर बैठे अधिकारी द्वारा ऐसी टिप्पणी किए जाने पर कई लोग इसे सेवा आचरण का उल्लंघन मान रहे हैं। सरकार पर भी इस मामले में स्पष्ट रुख अपनाने का दबाव बढ़ गया है।